Kedarnath Ropeway: उत्तराखंड में दो रोपवे परियोजनाओं की आधारशिला अक्टूबर 2022 में पर्वतमाला परियोजना के तहत रखी गई थी, जिसका उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और पर्यटन को बढ़ावा देना है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को उत्तराखंड में दो महत्वपूर्ण रोपवे परियोजनाओं - केदारनाथ रोपवे परियोजना और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट ब्रीफिंग के दौरान बताया कि सरकार ने उत्तराखंड के चमोली जिले में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना के विकास को मंजूरी दे दी है. उन्होंने सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 4,081 करोड़ रुपये की 12.9 किलोमीटर रोपवे परियोजना को भी मंजूरी देने की घोषणा की.
वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया, मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम - पर्वतमाला परियोजना के तहत उत्तराखंड में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना के विकास को मंजूरी दी है. परियोजना की कुल पूंजी लागत 2,730.13 करोड़ रुपये है.'
दोनों परियोजनाओं की आधारशिला अक्टूबर 2022 में 'पर्वतमाला परियोजना' के तहत रखी गई थी, जिसका उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और पर्यटन को बढ़ावा देना है. केदारनाथ रोपवे से यात्रा 9 घंटे से घटकर 30 मिनट रह जाएगी.
12.9 किलोमीटर लंबी केदारनाथ रोपवे परियोजना सोनप्रयाग को केदारनाथ से जोड़ेगी, जिस पर अनुमानित 4,081 करोड़ रुपये का निवेश होगा. रोपवे परियोजना केदारनाथ को जोड़ेगी, जो भगवान शिव को समर्पित 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
VIDEO | Cabinet Briefing by Union Minister Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw).
— Press Trust of India (@PTI_News) March 5, 2025
"The Cabinet has approved development of 12.9 km long ropeway project from Sonprayag to Kedarnath in Uttarakhand under National Ropeways Development Programme – Parvatmala Pariyojana. The total cost… pic.twitter.com/LyoGYTsRkl
पहले तीर्थयात्री सोनप्रयाग से केदारनाथ तक 21 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर तय करते थे. सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 5 किलोमीटर की सड़क थी और बाकी 16 किलोमीटर की यात्रा पैदल ही करनी पड़ती थी. नई परियोजना के कारण, जो यात्रा 8-9 घंटे में पूरी होती थी, वह अब 36 मिनट में पूरी हो जाएगी.
रोपवे के माध्यम से पर्यावरण अनुकूल, आरामदायक और तीव्र संपर्क सुविधा से यात्रा सीजन के 6 महीनों के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा सुविधाजनक हो जाएगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड में गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किलोमीटर लंबी रोपवे परियोजना के विकास को भी मंजूरी दी.
चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हेमकुंड साहिब के बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां गुरु गोविंद सिंह ने ध्यान लगाया था. यह भगवान राम के भाई लक्ष्मण की साधना स्थली के रूप में भी प्रसिद्ध है.
परियोजना का विकास राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम - पर्वतमाला परियोजना के अंतर्गत किया जा रहा है.
VIDEO | Cabinet Briefing by Union Minister Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw).
— Press Trust of India (@PTI_News) March 5, 2025
"The Cabinet approves development of 12.4 km long ropeway project from Govindghat to Hemkund Sahib Ji in Uttarakhand, under National Ropeways Development Programme – Parvatmala Pariyojana. The total… pic.twitter.com/QUfMmMWe1i
2,730.13 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगी. इससे पहले गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के बीच की यात्रा 20 किलोमीटर लंबी थी और इसमें घांघरिया से होकर पैदल यात्रा करनी पड़ती थी.
रोपवे के निर्माण से गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब के बीच यात्रा का समय घटकर 42 मिनट रह जाएगा. यात्रा का समय कम करने के अलावा, इस परियोजना से दर्शन का समय भी 4-5 घंटे से बढ़कर 10 घंटे प्रतिदिन हो जाएगा. 2023 में, सीजन के दौरान लगभग 1.77 लाख तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन करने आए थे.