Oxytocin Side Effects: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजधानी में गाय-भैंस रखने वाली डेरियों में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के हो रहे इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. अदालत का कहना है कि इस इंजेक्शन को पशुओं को देना पशु क्रूरता के अंतर्गत आता है.
इसको लेकर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने औषधि नियंत्रण विभाग को साप्ताहिक निरीक्षण और ऐसा करने वालों के लिए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.इसके साथ ही अदालत ने खुफिया विभाग से ऑक्सीटोसिन के उत्पादन, पैकेजिंग और डिस्ट्रीब्यूशन के स्रोतों की पहचान करने का आदेश दिया है. यह ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगे मवेशी का दूध पीने से इंसानों में भी कई सारी बीमारियां होने का खतरा रहता है. आइए जानते हैं कि ऑक्सीटोसिन क्या है और यह कितना ज्यादा खतरनाक है.
ऑक्सीटोसिन एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो स्तनधारियों में प्रजनन के लिए काफी आवश्यक होता है. शरीर में हाइपोथैलेमस ऑक्सीटोसिन बनाता है और पिट्यूटरी ग्रंथि इसको स्टोर करती है. इस हार्मोन से ही प्रसव के समय मनुष्यों और जानवरों के स्तनों में दूध आता है. यह प्राकृतिक हार्मोन है पर अब इसको कृत्रिम रूप से सभी जानवरों में डाला जा रहा है.
डेयरी वाले गाय और भैंसो में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए कृत्रिम रूप से इस हार्मोन का इंजेक्शन लगाते हैं, जिससे मवेशियों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है. इससे मवेशियों के शरीर को नुकसान होता है. इसके साथ ही इस दूध को पीने वाले लोगों को भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
पशु चिकित्सकों के अनुसार ऑक्सीटोसिन का उपयोग पशुओं में प्रसव के दौरान और कुछ बीमारियों के इलाज में किया जाता है. प्रसव के दौरान बच्चेदानी में संकुचन को रोकने के लिए यह इंजेक्शन दिया जाता है, लेकिन डेयरी वाले लोग ज्यादा दूध के लालच में इसका गलत उपयोग कर रहे हैं.
इस हार्मोन के इंजेक्शन को दूध बढ़ाने के लिए पशुओं में लगाने से उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. इसके साथ ही उनमें बांझपन का खतरा भी बढ़ता है. उनकी उम्र भी कम हो जाती है.
मवेशियों में ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल उनसे निकलने वाले दूध को जहर बना देता है. इसको पीने से मनुष्यों में कई प्रकार की बीमारियों के होने का खतरा रहता है.
कुछ डॉक्टर्स का मानना है कि ऐसा दूध पीने से मनुष्यों में प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है. इससे उनमें बांझपन हो सकता है. लड़कियां उम्र से पहले ही वयस्क दिखने लगती हैं.
इससे फेफड़ों, मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों के साथ ही कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है. इससे गर्भपात का खतरा बढ़ता है.
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