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Eid-e-Milad-un Nabi 2024: साल में कितने बार मनाया जाता है ईद का त्योहार? जानें सभी में खास अंतर और धार्मिक महत्व

Eid-e-Milad-un Nabi 2024: मुस्लिम समुदाय में ईद का बहुत बड़ा महत्व होता है. सोमवार यानी 16 सितंबर को पूरा देश में ईद-मिलाद-उन-नबी को मनाया जा रहा है. ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ था. लेकिन क्या आपके दिमाग यह बात आती हैं कि साल में कितनी बार ईद का त्योहार मनाया जाता है. 

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Edited By: India Daily Live
Eid-e-Milad-un Nabi 2024
Courtesy: Twitter

Eid-e-Milad-un Nabi 2024: मुस्लिम समुदाय में ईद का बहुत बड़ा महत्व होता है. सोमवार यानी 16 सितंबर को पूरे देश में ईद-मिलाद-उन-नबी को मनाया जा रहा है. ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ था. इसी की खुशी में मुस्लिम समुदाय अपने घर को सजाते हैं और जुलूस भी निकालते हैं. लेकिन क्या आपके दिमाग यह बात आती हैं कि साल में कितनी बार ईद का त्योहार मनाया जाता है. 

दरअसल, ईद तो एक होती हैं जिसमें मीठे में सेवइयां से लेकर ईदी तक दी जाती है लेकिन कई लोगों को लगता है कि बकरीद से लेकर ईद-मिलाद-उन-नबी सभी एक है. शरीयती के तौर पर केवल सिर्फ दो ईद होती हैं जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा कहा जाता है. हर एक त्योहार की तारीख हिजरी कैलेंडर के चांद की तारीखों के ऊपर निर्भर करता है.

ईद-उल-फितर

मुस्लिम समुदाय में ईद-उल-फितर का त्योहार काफी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. इसे रमजान का पाक माह समाप्त होने के बाद मनाया जाता है.  मान्यताओं के मुताबिक, चांद के हिसाब से रमजान शुरू होता है और रोजा रखा जाता है. ऐसा कहा जाता है जो व्यक्ति सच्चे मन से रोजा रखता है उसपर अल्लाह मेहरबान होते हैं. 

ईद-उल-अजहा

बकरीद को ईद-उल-अज़हा नाम से जाना जाता है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, इस्लाम का 12वां महीना धूल हिज्जा होता है और इसे ही बकरीद का त्योहार माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि  इम्तिहान लेने के लिए अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम से उनकी पसंदीदा चीज की कुर्बानी देने को कहा था. इस वजह से उन्होंने अपने बेटे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी देने का फैसला किया लेकिन तभी अचानक एक डुम्बा आ गया. जिसकी वजह से डुम्बा  (एक प्रकार का बकरा) कुर्बान हो गया था.

ईद-मिलाद-उन-नबी

ईद-मिलाद-उन-नबी के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ था. इसी दिन उनकी मृत्यु भी हो गई थी. ऐसे में इसे बारह रबीउल-उल-अव्वल और बारावफात के नाम से भी पहचाना जाता है.