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क्या सर्दियों में कलेशी हो जाती हैं गर्लफ्रेंड/बीवी? जानें इसके पीछे का साइंटिफिक कारण

Do girlfriends or wives become combative in winter: आमतौर पर जब भी कुछ लड़कों या शादीशुदा लोग आपस में मिलते हैं तो अपने लाइफ पार्टनर को लेकर बातचीत करना बिल्कुल आम बात है और इसको लेकर कई तरह के जोक्स भी वायरल होते देखे गए हैं.

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Edited By: Vineet Kumar
Couple Fight

हाइलाइट्स

  • क्या मेंटल हेल्थ पर पड़ता है प्रदूषण का असर
  • कलेश से बचने का क्या है उपाय

Do girlfriends or wives become combative in winter: आमतौर पर जब भी कुछ लड़कों या शादीशुदा लोग आपस में मिलते हैं तो अपने लाइफ पार्टनर को लेकर बातचीत करना बिल्कुल आम बात है और इसको लेकर कई तरह के जोक्स भी वायरल होते देखे गए हैं. इन जोक्स में एक बात जो कॉमन देखी गई है वो दोनों का आपस में लड़ना है, हालांकि यह भी सच है कि जोक्स भी अनुभव का वो हिस्सा होते हैं जिन्हें हंसने के लिहाज से बयां किया जाता है.

हाल ही में कुछ ऐसे मामले भी आए जहां लोगों को यह कहते सुना गया कि जब से सर्दियां बढ़ी हैं तब से उनकी पत्नी या फिर गर्लफ्रेंड के साथ नोंक-झोंक की घटनाएं तेज हो गई हैं. कई बार तो ऐसा लगता है कि बस अब और बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या सच में सर्दियों के बढ़ने की वजह से आपकी बीवी या गर्लफ्रेंड कलेशी हो गई हैं या फिर इसके पीछे कोई और वजह है.

क्या मेंटल हेल्थ पर पड़ता है प्रदूषण का असर

इसको लेकर हमने भंगेल CHC में कार्यरत और मशहूर Gynecologist डॉ मीरा पाठक से बातचीत की और उसका जवाब जो हमें मिला उसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे. डॉ मीरा पाठक ने बताया कि सर्दियों में आम दिनों की तुलना में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है जिसके चलते हवा ज्यादा प्रदूषित नजर आती है और दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में इसका स्तर आसमान छूता है.

कुछ सालों पहले अमेरिका और डेनमार्क में लोगों पर की गई एक रिसर्च में भी इस बात का पता चला था कि जो लोग वायु प्रदूषण के संपर्क में आते हैं तो उनकी मेंटल हेल्थ पर काफी असर होता है और ऐसे लोगों में डिप्रेशन, सिज़ोफ्रेनिया, बायपोलर डिसॉर्डर और पर्सनैलटी डिसॉर्डर जैसी बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है.

पुरुषों पर भी होता है पॉल्यूशन का असर

डॉ मीरा पाठक ने बताया कि बढ़ते पॉल्यूशन का असर सिर्फ महिलाओं में ही नहीं पुरुषों पर भी होता है जिसे महिलाओं में हम मूड स्विंग के नाम से जानते हैं तो वहीं पर पुरुषों में IMS (इरिटेबल मेल सिंड्रोम) के नाम से जाना जाता है. जहां महिलाएं इसे व्यक्त करने में सहज होती हैं तो वहीं पर पुरुषों में व्यक्त करने की टेंडेंसी न होने की वजह से हमें लगता है कि कलेश करने वाली सिर्फ बीवी या गर्लफ्रेंड ही होती हैं.

कलेश से बचने का क्या है उपाय

जब इसके इलाज को लेकर डॉ मीरा पाठक से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि इसका महज एक ही इलाज है संयम रखना, आपको अपने पार्टनर को लेकर संयम रखना होगा फिर चाहे वो पुरुष हो या फिर महिला. आपको उन्हें सहज महसूस कराना होगा और उन्हें इस बात का यकीन दिलाना होगा कि आप उन्हें सुन रहे हैं. इन सबके अलावा हवा बदलने के लिए किसी कम प्रदूषित वाले शहर में वैकेशन के लिए जा सकते हैं, वो कहते हैं न हवा बदलेगी तो मूड भी बदलेगा.