Measles Disease: खसरा एक वायरस के कारण फैलने वाली संक्रामक बीमारी है. यह पैरामाइक्सोवायरस के संक्रमण से फैलती है. संक्रमित मरीज के छींकने और खांसने से यह दूसरों में फैल सकती है. इसमें व्यक्ति को जुकाम, बुखार, शरीर में दर्द, आंखों में जलन, आंखों का लाल होना, गले में खराश, खांसी, शरीर पर लाल दाने आदि नजर आने लगते हैं.
WHO की मानें तो खसरे के वायरस से संक्रमित होने के लगभग 11 से 12 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने लग जाते हैं. वहीं, मरीज के संपर्क में रहने पर भी इसका संक्रमण हो जाता है. खसरे के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. इसके साथ ही ब्लड टेस्ट कराना चाहिए.
सीनियर Gynaecologist डॉ. नीलम मिश्रा के अनुसार खसरे का खतरा उन बच्चों में सबसे अधिक होता है, जिनमें विटामिन ए की कमी होती है. इसके साथ ही जिन बच्चों की रोग प्रतरोधक क्षमता कजोर होती है, उनको भी खसरा होने का खतरा रहता है. इसके अलावा गर्भवती महिलाएं और इसकी वैक्सीन न लगवाने वाले व्यक्ति को खसरे की बीमारी हो सकती है.
खसरे की कोई भी दवाई नहीं बनी है. इससे बचने के लिए टीकाकरण आवश्यक है. खसरे के साथ ही रूबेला की वैक्सीन (MR vaccine) के नाम से भी जाना जाता है, लगाई जाती है. रूबेला भी एक वायरस है. जब बच्चा 9 से 12 महीने का होता है तब इसकी पहली खुराक दी जाती है, वहीं जब बच्चा 16 से 24 माह का हो जाता है तब इसकी दूसरी खुराक दी जाती है.
डॉ. नीलम मिश्रा बताती है कि टीकाकरण के बाद शरीर खसरे के वायरस से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है. काफी कम केस ऐसे होते हैं, जहां टीकाकरण के बाद खसरा होता है. अगर ऐसा होता भी है तो वह काफी माइल्ड लेवल पर होता है. इससे बिल्कुल भी खतरा नहीं रहता है. इस कारण यह जरूरी है कि खसरे का टीका लगवाया जाए. खसरे का टीका लगने के बाद बच्चा पूरी लाइफ इसके वायरस से सुरक्षित रह सकता है.
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