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सुंदर बनने के लिए आप भी लगाते हैं फेयरनेस क्रीम तो हो जाइए सावधान! किडनी हो सकती है खराब

Fairness Cream Side Effects : अगर आप भी सुंदरता पाने के लिए फेयरनेस क्रीम का उपयोग करते हैं तो सावधान हो जाइए.ये क्रीम आपकी किडनी संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक गोरा बनाने वाली क्रीम का इस्तेमाल करने से भारत में किडनी संबंधी समस्याओं में बढ़ोतरी हो रही है. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: freepik

Fairness Cream Side Effects : लोग गोरा होने के लिए चेहरे पर फेयरनेस क्रीम का उपयोग करते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि यह क्रीम आपको किडनी का मरीज बना सकती है. जी हां, हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल किडनी संबंधी समस्याओं की वजह बन रहा है. मेडिकल जर्नल किडनी इंटरनेशनल में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. इसमें बताया गया है कि भारत में स्किन की रंगत निखारने वाली क्रीम के इस्तेमाल से किडनी संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं. 

सबसे बड़ी बात यह है कि इन क्रीम की बिक्री भारत में काफी बड़े पैमाने पर हो रही है. इसके साथ ही बच्चों से लेकर युवा वर्ग के लोग भी इन क्रीमों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कई कंपनियां तो इसको एडवरटाइज करके बड़े लेवल पर इसको बेच रही हैं. 

रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

मेडिकल जर्नल किडनी इंटरनेशनल में प्रकाशित एक स्टडी में जानकारी मिली है कि फेयरनेस क्रीम के बढ़ते उपयोग से मेंब्रेन नेफ्रोपैथी (एमएन) के मामले काफी बढ़ रहे हैं. यह स्थिति किडनी के फिल्टर को नुकसान पुहंचाती है. इससे प्रोटीन का रिसाव होने लगता है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, इसके कारण ही नेफ्रोटिक सिंड्रोम हो जाता है. इसके कारण यूरिन में काफी अधिक प्रोटीन निकल जाता है.

इस कारण होती है समस्या

इस रिसर्च की टीम का हिस्सा रहने वाले केरल के एस्टर एमआईएमएस हॉस्पिटल के डॉ. शिवदास ने एक सोशल मीडिया साइट पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि पारा (mercury) हमारी स्किन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है और इससे गु्र्दे के फिल्टर को काफी नुकसान पहुंचता है. इस कारण नेफ्रोटिक सिंड्रोम के मामलों में वृद्धि होती है. 

22 मामलों की हुई है जांच

इस स्टडी में जुलाई 2021 से सितंबर 2023 ते बीच मेम्ब्रेनस नेफ्रोपैथी के 22 मामलों की जांच हुई थी. इसमें मरीजों में थकावट, हल्की सूजन, पेशाब में ज्यादा झाग आने जैसे लक्षण दिखे. इन सभी मरीजों मके यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक थी. इससे एक मरीज के दिमाग में खून का थक्का बनने की समस्या को भी पाया गया, लेकिन इस मरीज की किडनी ठीक काम कर रही थी. 

इस स्टडी में करीब 68 प्रतिशत या फिर 22 में से 15 मरीजों में न्यूरल एपिडर्मल ग्रोथ फैक्टर-लाइक1 प्रोटीन (NELL-1) पाया गया है. ये एक मेम्ब्रेस नेफ्रोपैथी होता है, जो ज्यादातर कैंसर की वजह से होता है. इन 15 में से 13 मरीजों ने बीमारी शुरू होने से पहले फेयरनेस क्रीम लगाई थी. कुछ मरीजों ने आयुर्वेदिक दवाइयां यूज की थीं. ज्यादातर मामलों में इन क्रीमों को लगाना बंद करने के बाद मरीज ठीक भी हो गए.  

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.