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India Daily

'पुणे में वड़ा खाकर बचा लेता था, यहां तंगी से जूझ रहा हूं', बेंगलुरु में 25 लाख कमाने वाले शख्स की आपबीती

बेंगलुरु का आकर्षण अपनी जगह कायम है, लेकिन यह कहानी बताती है कि ऊंची कमाई के साथ ऊंची जिम्मेदारियां और खर्चे भी आते हैं. यह शहर सपनों को सच करने का वादा करता है, मगर इसके लिए समझदारी से कदम उठाना जरूरी है.

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Edited By: Ritu Sharma
man from Pune who is earning a hefty salary in Bangalore is facing financial crisis

बेंगलुरु, जिसे भारत की टेक राजधानी के नाम से जाना जाता है, ऊंचे वेतन और करियर के बेहतरीन अवसरों के कारण देश भर के पेशेवरों को अपनी ओर खींचता है. लेकिन इस शहर में रहने की बढ़ती लागत और आसमान छूती रियल एस्टेट कीमतों ने नए लोगों के लिए चिंता का सबब बना दिया है. कई लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या इस शहर में मोटी तनख्वाह वाकई बेहतर जिंदगी की गारंटी देती है?

वायरल पोस्ट ने छेड़ी बहस

हाल ही में लिंक्डइन पर इशान अरोड़ा द्वारा साझा की गई एक पोस्ट ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया. पोस्ट में उनके दोस्त की कहानी है, जिसने पुणे में 18 लाख रुपये सालाना (LPA) की नौकरी छोड़कर बेंगलुरु में 25 लाख रुपये सालाना की नौकरी जॉइन की. 40% की वेतन वृद्धि के बावजूद, वह अब आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और पुणे में अपनी पुरानी जिंदगी को मिस करता है.

"यहां सब कुछ महंगा है"
अरोड़ा के दोस्त ने बेंगलुरु के महंगे जीवन पर अपनी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा, “यहां किराए बेहद ऊंचे हैं, और मकान मालिक तीन-चार महीने का भारी सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगते हैं. ट्रैफिक की हालत भयानक है, जिससे आने-जाने का खर्चा भी बढ़ जाता है. पुणे में मैं 15 रुपये में वड़ा पाव खाकर भी बचत कर लेता था. यहां ज्यादा कमाई के बावजूद मेरे पास कम बचता है.”

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर जोरदार बहस छेड़ दी. कुछ यूजर्स ने उनकी बात से सहमति जताई और कहा कि बेंगलुरु में 35-40 लाख रुपये की तनख्वाह भी आर्थिक राहत नहीं देती. एक यूजर ने लिखा, “यह शहर आपकी जेब और भावनाओं को खाली कर देता है. हर दिन बढ़ते खर्चों के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल है.” वहीं, कुछ का मानना था कि यह जीवनशैली पर निर्भर करता है. एक अन्य यूजर ने कहा, “हर कोई 25 LPA नहीं कमाता. कई लोग 5-6 LPA पर भी आराम से गुजारा कर लेते हैं. यह आपके खर्चों को संभालने का तरीका है.”

क्या है असली चुनौती?
बेंगलुरु का आकर्षण अपनी जगह कायम है, लेकिन यह कहानी बताती है कि ऊंची कमाई के साथ ऊंची जिम्मेदारियां और खर्चे भी आते हैं. यह शहर सपनों को सच करने का वादा करता है, मगर इसके लिए समझदारी से कदम उठाना जरूरी है.