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India Daily

48,500 वर्षों से बर्फ में दबा Zombie Virus... मचाएगा तबाही! वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

वायरस से जुड़े खतरों को समझने के लिए एक शोधकर्ता ने पिछले साल रूस में साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से निकाले गए नमूनों से कुछ 'जॉम्बी वायरस' को पुनर्जीवित किया है.

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Edited By: Naresh Chaudhary
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हाइलाइट्स

  • जांच में पाया कि वायरस का एक नमूना 48,500 साल पुराना था
  • ठंडे, अंधेरे और कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर भी जिंदा रहता है

Zombie Virus Buried in Ice for 48,500 Years: पूरी दुनिया से अभी कोविड का खतरा खत्म नहीं हुआ है कि वैज्ञानिकों की एक रिपोर्ट ने सभी के होश उड़ा दिए हैं. वैज्ञानिकों ने आर्कटिक और अन्य क्षेत्रों में बर्फ की चोटियों के नीचे दबे पड़े निष्क्रिय वायरस से पैदा होने वाले मनुष्यों के लिए घातक खतरे के प्रति चेतावनी दी है. द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिघलता हुआ आर्कटिक 'पर्माफ्रॉस्ट' 'जॉम्बी वायरस' फैला सकता है, जिससे संभावित रूप से वैश्विक स्वास्थ्य संकट पैदा हो सकता है. यह जोखिम ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ते तापमान के कारण पैदा हुआ है, जिसके कारण पहले से जमी हुई बर्फ पिघल रही है. 

वायरस से जुड़े खतरों को समझने के लिए एक शोधकर्ता ने पिछले साल रूस में साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट से निकाले गए नमूनों से कुछ 'जॉम्बी वायरस' को पुनर्जीवित किया है. ऐक्स-मार्सिले विश्वविद्यालय के आनुवंशिकीविद् जीन-मिशेल क्लेवेरी ने बताया कि हजारों वर्षों से जमीन में संरक्षित ये वायरस एक नई बीमारी के फैलने के संभावित एजेंट हैं. क्लेवेरी ने दक्षिणी क्षेत्रों में पैदा होने वाले और उत्तर में फैलने वाले महामारी के खतरों पर वर्तमान फोकस के बारे में चिंता व्यक्त की है. 

जांच में पाया वायरस का एक नमूना 48,500 साल पुराना था

रॉटरडैम में इरास्मस मेडिकल सेंटर के वायरोलॉजिस्ट मैरियन कूपमैन्स ने पर्माफ्रॉस्ट के अंदर अज्ञात जोखिमों के बारे में जानकारी दी है. कहा है कि ये वायरस जनित बीमारी जैसे पोलियो का प्रकोप शुरू करने में सक्षम हैं. पर्माफ्रॉस्ट में हजारों साल बिताने के बावजूद जीवित वायरस ने एकल-कोशिका वाले जीवों को संक्रमित करने की अपनी क्षमता को दिखाया है.

जैसा कि 2014 में साइबेरिया में क्लेवेरी के नेतृत्व वाली एक टीम ने देखा था. अगले वर्ष में आगे की जांच में विभिन्न साइबेरियाई स्थानों में वायरस के उपभेदों की पहचान की गई है, जिससे सुसंस्कृत कोशिकाओं को संक्रमित करने की उनकी क्षमता का पता चला. जांच में पता चला है कि एक वायरस का नमूना 48,500 साल पुराना था.

ठंडे, अंधेरे और कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर भी जिंदा रहता है

क्लेवेरी ने स्पष्ट किया कि पृथक वायरस से मनुष्यों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन उन्होंने पॉक्सवायरस और हर्पीसवायरस के जीनोमिक निशानों की उपस्थिति की ओर इशारा किया, जो मानव रोगजनक हैं. उत्तरी गोलार्ध के पांचवें हिस्से को ढकने वाले पर्माफ्रॉस्ट ने एक टाइम कैप्सूल के रूप में काम किया है, जो प्राचीन वायरस के साथ-साथ विलुप्त प्राणियों के अवशेषों को संरक्षित करता है. पर्माफ्रॉस्ट के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ठंडे, अंधेरे और कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर जिंदा रहता है. क्लेवेरी ने ऑब्जर्वर को बताया कि ये उसी तरह काम करता है जैसे आप दही को पर्माफ्रॉस्ट में रखें और यह 50,000 साल बाद भी खाने योग्य हो सकती है.