लेखक सलमान रुश्दी केस में आज होगी सुनवाई, चाकू से हमला करने का मामला, अंतिम दलीलें करेंगे पेश
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि हादी मतार ने यह हमला पूर्व नियोजित तरीके से किया था और उसका मकसद सलमान रुश्दी को नुकसान पहुंचाना था. वहीं, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि मतार का इरादा किसी को मारने का नहीं था, बल्कि वह रुश्दी के विचारों से असहमति रखता था.
प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर 2022 में हुए चाकू हमले के मामले में शुक्रवार को अंतिम दलीलें पेश की जाएंगी. इस हमले के आरोपी हादी मतार (27) के खिलाफ पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्वा काउंटी न्यायालय में मुकदमा चल रहा है.
यह हमला चौटाउक्वा संस्थान में हुआ था, जहां रुश्दी एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे. हमले में 7 वर्षीय रुश्दी की एक आंख की रोशनी चली गई, साथ ही उन्हें कई गंभीर चोटें भी आई थीं. इस हमले ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी थी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहस छिड़ गई थी.
क्या है मुकदमे की मौजूदा स्थिति?
मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि हादी मतार ने यह हमला पूर्व नियोजित तरीके से किया था और उसका मकसद सलमान रुश्दी को नुकसान पहुंचाना था. वहीं, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि मतार का इरादा किसी को मारने का नहीं था, बल्कि वह रुश्दी के विचारों से असहमति रखता था.
फैसले पर टिकी सबकी निगाहें
अब जबकि मुकदमे की अंतिम दलीलें शुक्रवार को प्रस्तुत की जाएंगी, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं कि अदालत का फैसला क्या होगा. यदि मतार दोषी साबित होता है, तो उसे कठोर सजा का सामना करना पड़ सकता है.
पृष्ठभूमि: क्यों विवादों में रहे हैं सलमान रुश्दी?
सलमान रुश्दी अपने विवादास्पद उपन्यास "द सैटेनिक वर्सेज" के कारण लंबे समय से चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं. इस पुस्तक को लेकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था, जिसके बाद रुश्दी को कई वर्षों तक छिपकर रहना पड़ा था.
अब देखना यह होगा कि न्यायालय इस बहुचर्चित मामले में क्या फैसला सुनाता है और यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सुरक्षा की बहस को किस दिशा में मोड़ता है.
क्या कहता है हादी मतार?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मतार ने हमले के पीछे अपने धार्मिक विचारों को जिम्मेदार बताया और कहा कि वह रुश्दी को पसंद नहीं करता था. उसने कहा था कि उसने रुश्दी की किताब "द सैटेनिक वर्सेज" पूरी तरह नहीं पढ़ी थी, लेकिन वह उनके विचारों से असहमत था.
गौरतलब है कि रुश्दी की यह किताब इस्लामी समुदाय में विवादास्पद रही है, और इसे लेकर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी ने 1989 में उनके खिलाफ फतवा जारी किया था.