World Defense Show 2024: पूरी दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर रूस अब अपने हथियारों को बेचने में परेशानियों का सामना कर रहा है. सऊदी अरब में चल रहे वर्ल्ड डिफेंस शो 2024 में रूस ने अपने सबसे खतरनाक फाइटर प्लेन सुखोई एसयू-75 चेकमेट (Sukhoi SU-75 checkmate) को पेश किया है. सुखोई su-75 के जरिए रूस फिर से अपने हथियारों के कारोबार को खड़ा करना चाहता है. हालांकि इसके लिए रूस भारत की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है, क्योंकि उसे विदेशी खरीदार चाहिए. दावा किया जाता है कि ये 5th जेनेरेशन का लड़ाकू विमान है. चीन और पाकिस्तान के पास भी 5th जेनेरेशन के फाइटर प्लेन हैं. लेकिन भारत को इसकी कोई जरूरत नहीं है. तो आइए जानते हैं इसका क्या कारण है?
वर्ल्ड डिफेंस शो 2024 में मास्को अपने सबसे ज्यादा चर्चित सुखोई Su-75 'चेकमेट' लड़ाकू विमान के लिए विदेशी खरीदारों की तलाश कर रहा है. इनमें भारत भी एक खरीदार हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस के स्वामित्व वाला सैन्य-औद्योगिक समूह रोस्टेक नई दिल्ली से प्रतिक्रिया के अनुसार लागत में कटौती करने के लिए भी तैयार है. हालांकि भारत वर्तमान में अपने 5th जेनेरेशन लड़ाकू विमान (एफजीएफए) कार्यक्रम से अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान विकसित कर रहा है.
रोस्टेक में यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (यूएसी) की सहायक कंपनी सुखोई एयरक्राफ्ट ने पहली बार मॉस्को के बाहर MAKS-2021 अंतरराष्ट्रीय एयर शो में चेकमेट लाइट टैक्टिकल फाइटर को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में दुबई एयरशो 2021 में पेश किया गया था. उस समय से रोस्टेक ने बिना किसी खरीददार के अंतरराष्ट्रीय साझेदार बनाने की कोशिश की है. मॉस्को को उम्मीद है कि भारत चेकमेट में नए सिरे से अपनी दिलचस्पी दिखा सकता है.
Su-75, सुखोई Su-57 (NATO रिपोर्टिंग नाम फेलोन) का ही एक वर्जन है. ग्राहकों की जरूरतों और बेहतरीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी को पूरा करने के लिए इसके खुले आर्किटेक्चर कॉन्फिगरेशन समेत कई नई प्रणालियों को शामिल किया गया है. यूएसी की सहायक कंपनी रोस्टेक ने यह भी दावा किया है कि एकल इंजन वाला स्टील्थ लड़ाकू विमान हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों को ले जाने में पूरी तरह से सक्षम है. यह सात टन से ज्यादा का पेलोड भी ले जा सकता है. इसकी एक और खासियत है कि ये एक बार में छह निशाने लगा सकता है.
हालांकि चेकमेट को कोई खास दिलचस्पी नहीं मिली है, लेकिन मॉस्को अपने कई अन्य प्लेटफार्म्स के लिए विदेशी खरीदारों को ढूंढ रहा है. यह पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद आया है जो लगभग दो साल पहले यूक्रेन पर रूस के अकारण आक्रमण के बाद लगाए गए थे. दावा किया जाता है कि रूस का सुखोई-75 चेकमेट अमेरिका के फाइटर एयरक्राफ्ट F-35 और चीन के फाइटर एयरक्राफ्ट FC-31 को मात देने के लिए तैयार किया गया है. हालांकि भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान भी अपने दोस्त चीन से 5th जेनेरेशन का फाइटर एयरक्राफ्ट FC-31 खरीद रहा है.
क्या भारत को Su-75 एयरक्राफ्ट की डील में दिलचस्पी दिखानी चाहिए? इस पर एयर मार्शल अनिल खोसला (सेवानिवृत्त) ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि इसके लिए कई मोर्चों से संपर्क करने की जरूरत है. साथ ही डील से पहले लागत और लाभ के बारे में भी पूरी पड़ताल करनी होती है. रूस को इस परियोजना के लिए पैसे और विकास भागीदारों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसमें देखना होगा, क्या भारत को समझौते से ज्यादा लाभ मिल सकता है?
इसके अलावा, जिन सवालों का जवाब देने की जरूरत है वह यह है कि क्या यह परियोजना भारत की आत्मनिर्भरता को प्रभावित करेगी? इनसे पहले IAF के एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने साल 2019 में कहा था कि अभी या आने वाले समय में विदेशी FGFA (पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान) की कोई योजना नहीं है. भारतीय वायुसेना के लिए एफजीएफए स्वदेशी एएमसीए होगा, जिसके लिए काम पहले ही शुरू हो चुका है.