ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने नए साल के अवसर पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने डेनमार्क से स्वतंत्रता की मांग की. यह बयान ग्रीनलैंड की स्वायत्तता और स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, और इसे "डोनाल्ड ट्रंप प्रभाव" से जोड़कर देखा जा रहा है. एगेडे ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब समय आ गया है कि ग्रीनलैंड अपने भविष्य का निर्धारण स्वयं करे और वह डेनमार्क की गुलामी से बाहर निकले.
सहयोग में आ रही बाधाओं को हटाना होगा
ट्रंप का प्रभाव और ग्रीनलैंड की राजनीति
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ग्रीनलैंड में रुचि लेना नया नहीं है. उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ग्रीनलैंड को खरीदने का सुझाव दिया था, जिसे डेनमार्क और ग्रीनलैंड के अधिकारियों द्वारा नकारा गया था. हाल ही में ट्रंप ने फिर से ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाने की इच्छा व्यक्त की, और यह भी कहा कि "ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण राष्ट्रीय सुरक्षा और वैश्विक स्वतंत्रता के लिए अत्यंत आवश्यक है." ट्रंप के इन बयानों ने ग्रीनलैंड की राजनीतिक स्थिति को पुनः चर्चा का विषय बना दिया है और इसे स्वतंत्रता की ओर बढ़ने के लिए एक नया उत्प्रेरक माना जा रहा है.
ग्रीनलैंड के लिए स्वतंत्रता की राह
एगेडे ने ट्रंप के बयान का कड़ा जवाब देते हुए कहा, "ग्रीनलैंड बिकने के लिए नहीं है और कभी भी नहीं बिकेगा." उन्होंने यह स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड का भविष्य केवल ग्रीनलैंड के लोगों द्वारा तय किया जाना चाहिए, न कि बाहरी शक्तियों द्वारा. एगेडे का यह बयान ग्रीनलैंड के नागरिकों के लिए एक संदेश था कि उन्हें अपनी स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह से सशक्त होना चाहिए.
स्वतंत्रता की दिशा में अगले कदम
एगेडे ने यह भी संकेत दिया कि 2025 में ग्रीनलैंड में स्वतंत्रता पर एक जनमत संग्रह हो सकता है, जो अप्रैल में होने वाले संसदीय चुनावों के साथ आयोजित हो सकता है. इसके साथ ही ग्रीनलैंड में स्वतंत्र राज्य बनने के लिए आवश्यक संरचनाओं का निर्माण भी शुरू हो चुका है.
ग्रीनलैंड का रणनीतिक महत्व
ग्रीनलैंड का आर्थिक ढांचा मुख्य रूप से मछली पालन, खनिज संसाधन, और डेनमार्क से मिलने वाली भारी सालाना सब्सिडी पर आधारित है. लेकिन इसका रणनीतिक महत्व भी बढ़ रहा है, खासकर आर्कटिक क्षेत्र में अपनी भौगोलिक स्थिति और विशाल भूमि के कारण. ट्रंप के बयान ने इस महत्व को और अधिक उजागर किया है, क्योंकि आर्कटिक क्षेत्र को अब वैश्विक शिपिंग मार्गों, प्राकृतिक संसाधनों और सैन्य रणनीति के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जा रहा है.