'किसी बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे', भारत का नाम लिए बिना मुइज्जु ने दिया बड़ा बयान
मालदीव के संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कहा कि वो किसी ऐसे बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा जो मालदीव की अखंडता, आजादी और संप्रभुता को खतरे में डाले.
नई दिल्ली: राष्ट्रपति बनने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार को पहली बार संसद को संबोधित किया. इस दौरान मुइज्जू ने कहा कि वो किसी ऐसे बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा जो मालदीव की अखंडता, आजादी और संप्रभुता को खतरे में डाले. मुइज्जू ने अपने संबोधन में भारत का जिक्र करते हुए कहा कि मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत जारी है. तीन में से एक एविएशन प्लेटफॉर्म से भारतीय सैनिक सैनिक 10 मार्च 2024 तक चले जाएंगे. बाकी दो प्लेटफॉर्म के सैनिकों को 10 मई 2024 तक वापस बुला लिया जाएगा.
दरअसल बीते दिनों दोनों देश मालदीव में भारतीय विमानन प्लेटफॉर्म का संचालन जारी रखने के लिए कुछ बातों पर सहमत हुए है. दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी कि भारत मालदीव में तैनात अपने सैनिकों को असैनिक समूह के साथ बदल देगा. भारतीय सैनिक मालदीव से वापस आएंगे और उनके बदले भारत वहां सिविलयंस की तैनाती करेगा. इसका मतलब यह है कि भारत अपने सैनिकों को वापस बुला लेगा और उनके बदले वहां सिविलियन की तैनाती करेगा.
विपक्ष ने मुइज्जू के भाषण का किया बहिष्कार
मुइज्जू की भारत विरोधी रुख की वजह से मालदीव की दो बड़ी विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी और डेमोक्रेट्स ने मुइज्जू के भाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया. जब वह सदन को संबोधित कर रहे थे तो तब विपक्षी नेताओं की मौजूदगी बहुत कम थी.
'कोई ऐसा समझौता नहीं जिससे देश की संप्रभुता पर खतरा'
मुइज्जू को असल में चीन समर्थक माना जाता है. राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मुइज्जू ने कहा कि वह भारतीय सैन्य कर्मियों को अपने देश से बाहर निकालने के अपने चुनावी वादे को निभाएंगे. जिसकी झलक उनके भाषण में भी देखने को मिली. उन्होंने कहा कि मालदावी की बड़ी आबादी ने हमें इसलिए वोट दिया था कि हम देश से विदेशी सैनिकों को हटाएंगे. हम कोई भी ऐसा समझौता नहीं करेंगे जिससे हमारे देश की संप्रभुता पर खतरा आए.
मालदीव में 80 भारतीय सैन्यकर्मी
मौजूदा समय में लगभग 80 भारतीय सैन्यकर्मी मुख्य रूप से दो हेलीकॉप्टर और एक विमान संचालित करने के लिए मालदीव में हैं, जिन्होंने सैकड़ों चिकित्सा निकासी और मानवीय मिशनों को अंजाम दिया. दोनों देशों के बीच तनाव इस स्तर पर पंहुच गई है कि इतने कम सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद मुइज्जू इसे मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा मानते हैं.