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India Daily

नए PM मार्क कार्नी के आने से भारत-कनाडा के बिगड़े रिश्तों में आएगी मिठास? समझे राजनीतिक रणनीति

कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में मार्क कार्नी का चयन किया गया है. वह जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे. कार्नी एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने विश्व के दो प्रमुख देशों में गवर्नर के रूप में कार्य किया है.

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Edited By: Ritu Sharma
Mark Carney
Courtesy: Social Media

India-Canada Relations: कनाडा में राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है. जस्टिन ट्रूडो के युग का अंत हो गया है, और अब देश को नया प्रधानमंत्री मिल गया है. मार्क कार्नी को कनाडा का नया प्रधानमंत्री चुना गया है. वह एक अनुभवी अर्थशास्त्री हैं, जिन्होंने दुनिया के दो प्रमुख देशों में गवर्नर के रूप में काम किया है. उनके कार्यकाल से भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है.

भारत के साथ संबंधों में सुधार की संभावना

आपको बता दें कि जस्टिन ट्रूडो के शासनकाल में भारत-कनाडा संबंधों में खटास आ गई थी. लेकिन जानकारों का मानना है कि मार्क कार्नी इस स्थिति को बदल सकते हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की जरूरत है. कार्नी की नीतियां आर्थिक सुधार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर केंद्रित रही हैं, जिससे भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों में मजबूती आने की संभावना है.

कौन हैं मार्क कार्नी?

मार्क कार्नी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं. 2007 में उन्हें कनाडा का सेंट्रल बैंक गवर्नर नियुक्त किया गया था, जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में थी. उनकी नीतियों ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद, वह 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर भी बने. हालांकि, कार्नी अब तक कनाडा की सक्रिय राजनीति से दूर रहे हैं, लेकिन उनके पास वित्तीय नीतियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था को समझने का जबरदस्त अनुभव है.

ट्रूडो ने छोड़ा लिबरल पार्टी का नेतृत्व

जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''मैं लिबरल पार्टी के नेता के रूप में उसी आशा और कड़ी मेहनत के साथ विदा ले रहा हूं, जैसा कि मैंने शुरू में किया था.'' उन्होंने आगे कहा, ''इस पार्टी और इस देश के लिए काफी उम्मीदें हैं. उन लाखों कनाडाई लोगों की वजह से जो हर दिन साबित करते हैं कि बेहतर हमेशा संभव है.'' गौरतलब है कि ट्रूडो ने जनवरी में ही घोषणा कर दी थी कि पार्टी को नया प्रधानमंत्री चुनना चाहिए.

पहले भी मिला था राजनीति में आने का मौका

हालांकि, मार्क कार्नी ने अब तक राजनीतिक पदों को स्वीकार नहीं किया था, लेकिन उन्हें पहले भी कई मौके मिल चुके थे. 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने उन्हें कनाडा का वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. इसके अलावा, जब 2013 में लिबरल पार्टी के नेतृत्व का चुनाव हुआ था, तब भी उनका नाम चर्चा में था. ट्रूडो की सरकार में वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद भी उनकी दावेदारी की चर्चा हुई थी. लेकिन उन्होंने राजनीति से दूरी बनाए रखी. अब, कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल शुरू होने जा रहा है.

अमेरिका और ट्रंप के साथ कैसा रहेगा रुख?

विशेषज्ञों का मानना है कि मार्क कार्नी, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने इस मुद्दे पर कभी खुलकर बयान नहीं दिया है. ट्रंप के शासनकाल में कनाडा-अमेरिका व्यापार संबंधों में कई विवाद हुए थे. अब, कार्नी के सामने कनाडा की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और जनता का विश्वास जीतने की चुनौती होगी.