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India Daily

म्यांमार में आया भूकंप इतना विनाशकारी क्यों बना? वैज्ञानिकों ने बताई वजह

लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज (UCL) के प्रोफेसर बिल मैकगायर ने France24 को बताया कि यह पिछले 75 सालों में म्यांमार के मुख्य भूभाग पर आया सबसे तीव्र भूकंप हो सकता है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Why was the earthquake in Myanmar so devastating Scientists explained the reason

म्यांमार में शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप से मरने वालों की संख्या रविवार तक बढ़ती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय बचाव दल और सहायता टीमें संकटग्रस्त देश में राहत कार्यों में जुटी हैं, लेकिन अस्पतालों और संसाधन-हीन समुदायों पर भारी दबाव है. सैन्य सरकार के अनुसार, 7.7 तीव्रता के इस भूकंप में करीब 1,700 लोग मारे गए, 3,400 घायल हुए और 300 से अधिक लापता हैं. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) का अनुमान है कि मृतकों की संख्या 10,000 को पार कर सकती है.

भूकंप का भयावह प्रभाव

यह भूकंप पिछले एक सदी में म्यांमार का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जा रहा है. इससे महत्वपूर्ण ढांचे जैसे पुल, राजमार्ग, हवाई अड्डे और रेलवे को भारी नुकसान पहुँचा, जिससे राहत कार्य बाधित हुए. 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद शुरू हुए गृहयुद्ध ने पहले ही देश को अस्थिर कर रखा है, जिसमें 35 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है.

वैज्ञानिकों की व्याख्या
लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज (UCL) के प्रोफेसर बिल मैकगायर ने France24 को बताया कि यह पिछले 75 सालों में म्यांमार के मुख्य भूभाग पर आया सबसे तीव्र भूकंप हो सकता है. USGS के अनुसार, 28 मार्च 2025 को मांडले के पास आए इस भूकंप का कारण भारत और यूरेशिया प्लेटों के बीच "स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग" था. यह सागाइंग फॉल्ट पर हुआ, जो भारतीय और सुंडा प्लेटों की सीमा है. इसकी गहराई मात्र 10 किमी थी, जिससे सतह पर भूकंपीय ऊर्जा का प्रभाव बढ़ गया.

सागाइंग फॉल्ट की भूमिका
इंपीरियल कॉलेज लंदन की टेक्टोनिक्स विशेषज्ञ रेबेका बेल ने इसे सागाइंग फॉल्ट पर एक स्ट्राइक-स्लिप घटना बताया, जो कैलिफोर्निया के सैन एंड्रियास फॉल्ट के समान है. यह फॉल्ट 1,200 किमी लंबी है, जिससे बड़े क्षेत्र में दरारें पड़ती हैं. ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के रॉजर मसन ने कहा, "इसकी उथली गहराई के कारण इमारतों पर पूरा असर पड़ा." भूकंपीय तरंगें पूरे फॉल्ट से फैलीं, जिससे विनाश बढ़ा.

ऐतिहासिक संदर्भ
1900 के बाद इस क्षेत्र में 7 या उससे अधिक तीव्रता के छह भूकंप आ चुके हैं, जिनमें 1988 का 7.7 तीव्रता वाला भूकंप भी शामिल है.