Why USA Warns India: अमेरिका रूस और चीन की बढ़ती साझेदारी और मजबूत होते संबंधों से खासा परेशान है. वह भारत की रूस के साथ दशकों पुरानी दोस्ती से भी जलता है. हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस का दौरा किया था जहां राष्ट्रपति पुतिन ने उनका भव्य स्वागत किया था. अमेरिकी प्रशासन ने भारत सरकार के इस निर्णय पर खासी निराशा जताई थी. इस बीच अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर धमकाया है. शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए सुलिवन ने कहा कि वाशिंगटन नई दिल्ली को यह समझाने का प्रयास कर रहा है कि रूस और चीन के साथ गहरे होते उसके संबंध भारत और अमेरिका के संबंधों के लिए मुश्किलें पैदा करेंगे.
कोलोराडो में 2024 एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में बोलते हुए सुलिवन ने कहा कि अमेरिका “प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को भू-राजनीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखता है. भारत इसमें बड़ी भूमिका निभा सकता है. ऐसे में अमेरिका भारत के साथ अपने संबंधों को और गहरा करना चाहता है.
सुलिवन ने कहा कि जैसा हम जानते हैं बीत रहे समय के साथ रूस चीन के बहुत नजदीक जा रहा है. वह चीन का जूनियर पार्टनर बनता दिख रहा है. संघर्ष की स्थिति में यह जोड़ी भारत के लिए खतरा बन सकती है. उन्होंने कहा कि आकस्मिक स्थिति या संकट के समय रूस भारत का बहुत भरोसेमंद दोस्त साबित हो. यह एक ऐसा तथ्य है जिसे हम भारत के साथ अपने रणनीतिक बातचीत के दौरान ध्यान रखते हैं.
साल 2020 में सीमा पर झड़प के बाद भारत और चीन के बीच शीर्ष स्तर का टकराव उत्पन्न हो गया था. चीन इस बात से नाराज बताया जा रहा है.भारत ने रूस -यूक्रेन युद्ध में भी अपना रुख न्यूट्रल ही रखा है. नई दिल्ली ने दोनों पक्षों से बातचीत के माध्यम से युद्ध का समाधान निकालने की गुजारिश की है. हालांकि इस दौरान रूस ने चीन के साथ मंद पड़े संबंधों पर फिर से ध्यान दिया है,वह चीन के साथ अपनी साझेदारी बढ़ा रहा है. ऐसे में भारत ने एशिया में हो रहे भू-राजनीतिक बदलाव को देखते हुए अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी बढ़ाने पर जोर दिया है.
सुलिवन ने कहा कि रूस आज भी भारत का प्रमुख सामरिक साझेदार है और वह इन संबंधों में ढिलाई नहीं बरतेगा. यूएस के नेशनल एडवाइजर ने कहा कि भारत का रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध है जिसे वे खत्म करने की मंशा नहीं रखते हैं लेकिन बातचीत के दौरान हमारी कोशिश होती है कि भविष्य में इन संबंधों की प्रकृति क्या होगी? जुलाई में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मास्को की आधिकारिक यात्रा के संबंध में सुलिवन ने कहा कि हमें नहीं लगता कि भारत रूस के साथ अपने रक्षा और प्रौद्योगिकी संबंधों को गहरा कर रहा है. सुलिवन ने कहा कि हम कभी नहीं चाहते कि जिन देशों की हम परवाह करते हैं वे मॉस्को के पाले में जाएं और पुतिन को गले लगाएं.
नई दिल्ली और मॉस्को के बीच मजबूत संबंध शीत युद्ध के समय से ही हैं. रूस भारत को रक्षा उपकरणों का एक प्रमुख सप्लायर है. यूक्रेन संघर्ष के बाद अमेरिका के लाख विरोध के बावजूद भारत ने सस्ती दरों पर रूस से कच्चे तेल की खरीद की है. रूसी उप प्रधान मंत्री अलेक्जेंडर नोवाक का कहना है कि भारत को निर्यात किये जाने वाले कच्चे तेल की सालाना मात्रा वर्ष 2021 की तुलना में 20 गुना बढ़ गई है. रूस अकेले भारत की 40 फीसदी तेल की डिमांड को पूरा करता है.