Iran vs Israel पर खामोश क्यों हो गया अमेरिका? रूस-यूक्रेन से मिली सीख या कुछ और है बात
Iran Israel War: ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुए युद्ध पर अचानक अमेरिका ने चुप्पी साध ली है. कुछ दिनों पहले ही वह इजरायल को सलाह दे रहा था कि वह पलटवार न करे.
ईरान और इजरायल के बीच तनाव इस कदर बढ़ चुका है कि दोनों देश एक-दूसरे पर हमला करने लगे है. कई हजार किलोमीटर बसे इन दोनों देशों की दुश्मनी अब विध्वंसक रूप ले चुकी है. पहले की तरह हर मामले में टांग अड़ाने वाले अमेरिका ने अचानक इस युद्ध पर चुप्पी साध ली है. एक तरफ रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका को करोड़ों का नुकसान हुआ है, दूसरी तरफ अमेरिका में चुनाव भी होने हैं. कई दशकों से अमेरिका में यह मुद्दा हावी रहा है कि उसे बेवजह दूसरे देशों के झगड़ों में पड़कर अपना नुकसान नहीं कराना चाहिए. ईरान के हमलों के कुछ दिन बाद जब इजरायल ने पलटवार किया है तो अमेरिका ने कहा है कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता है.
दुनिया के हर देश के तनाव और झगड़ों में सबसे पहले कूदने वाले अमेरिका के व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जीन पियरे ने शुक्रवार को कहा, 'मुझे पता है कि आप सब मुझसे मिडिल ईस्ट के बारे में जरूर पूछेंगे लेकिन हमें इसके बारे में कोई कॉमेंट नहीं करना है. बाइडन प्रशासन इस बात को लेकर शुरू से ही स्पष्ट रहा है कि हम संघर्ष को बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते हैं. हम उस क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ मिलकर राय-मशविरा जारी जारी रखेंगे.'
इस्फहान पर किया ताबड़तोड़ हमला
दरअसल, ईरान की ओर से हमले किए जाने के बाद अमेरिका ने सलाह दी थी कि इजरायल पलटवार न करे. जो बाइडेन ने बेंजमिन नेतन्याहू को यह तक कह दिया था कि अगर इजरायल जवाबी हमला करता है तो अमेरिका उसकी मदद नहीं करेगा. अमेरिका ही नहीं, जर्मनी और ब्रिटेन ने भी इजरायल को कमोबेश यही सलाह दी थी और युद्ध में न उतरने को कहा था. इजरायल ने कुछ दिनों के इंतजार के बाद उसने ईरान के इस्फहान शहर पर ताबड़तोड़ हमला किया है.
उधर अमेरिका में ही ईरान के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं. इन प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर ही अमेरिका का झंडा जलाया लेकिन इस पर भी अमेरिका खामोश है. इन प्रदर्शनकारियों ने इजरायल और अमरेका विरोधी नारे लगए और अमेरिका की जमकर आलोचना की. दरअसल, इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित ईरान की वाणिज्य दूतावास पर कथित हमला किया था जिसके बाद से दोनों देश आमने-सामने आ गए.
क्या आर्थिक तंगी है वजह?
युद्ध किसी भी देश का हो नुकसान पूरी दुनिया को होता है. रूस और यूक्रेन के संघर्ष से यह एक बार फिर साबित हुआ है. लड़ाई रूस और यूक्रेन की हो रही है लेकिन इसका अंजाम पूरा यूरोप और पश्चिम भुगत रहा है. अमेरिका जैसे कई देशों ने यूक्रेन की पैसे और हथियारों से मदद की है. अब हालत ऐसी हो गई है कि अमेरिका यूक्रेन को ऐसे हथियार दे रहा है जो उसने ईरान से जब्त किए थे. दूसरी तरफ, अमेरिका की खुद की इकोनॉमी कमजोर होती जा रही है.
वियतनाम जैसे अंजाम का डर?
अमेरिका की इस समय की हालत बिल्कुल वियतनाम युद्ध के समय जैसी हो गई. शायद यही वजह है कि वह किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष तौर पर हिस्सा लेने से बच रहा है. बता दें कि वियतनाम में अमेरिका के 50 हजार से ज्यादा जवान मारे गए थे. इतना ही नहीं, इस युद्ध के चलते अमेरिका को करोड़ों-अरबों रुपये का नुकसान भी झेलना पड़ा था. अब अमेरिका ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहता है जिससे बेवजह उसे नुकसान हो. शायद इसी के चलते इजरायल के आक्रामक रुख पर भी उसने खामोशी ओढ़ ली है.