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India Daily

दुनिया कुछ भी बोले, रूस और नॉर्थ कोरिया ने कर ली ऐतिहासिक डिफेंस डील, जानिए क्यों टेंशन में हैं अमेरिका और यूरोप?

Russia and North Korea Defence Pact: रूस और यूक्रेन के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ है. इस समझौते ने अमेरिका और यूरोपीय देशों की नींद उड़ा दी है. इस समझौते के बाद उत्तर कोरिया के परमाणु क्षमता में विस्तार देखने को मिल सकता है. साथ ही साथ उसे स्पेस सैटेलाइट में भी मदद मिलेगी. आइए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच किन- किन मुख्य बिंदुओं पर समझौता हुआ है और इस समझौते का असर अमेरिका और पश्चिमी देशों पर कैसे पड़ेगा.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
defence pact between Russia and North Korea
Courtesy: Social Media

Russia and North Korea Defence Pact: रूस और उत्तर कोरिया के बीच ऐसा ऐतिहासिक समझौता हुआ जिसने अमेरिका और यूरोपीय देशों की नींद उड़ा दी है. बुधवार की सुबह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 24 साल बाद नॉर्थ कोरिया पहुंचे थे. इतने वर्षों के बाद पुतिन का उत्तर कोरिया जाना ही बड़े समझौते का संकेत था. दोनों देशों के बीच डिफेंस डील पर हस्ताक्षर किए हैं. इस नई डिफेंस डील के अनुसार अगर किसी देश ने दोनों में से किसी पर भी हमला करता है तो यह हमला दोनों पर माना जाएगा और ये दोनों एक साथ मिलकर उस देश से युद्ध लड़ेंगे. किम जोंग उन ने इस ऐतिहासिक डिफेंस डील को एलायंस नाम दिया है. इस संधि से उत्तर कोरिया के एटॉमिक बम की क्षमताओं में वृद्धि होगी. किम जोन उंग परमाणु शक्ति से लैस ऐसी मिसाइल बनाना चाहते हैं. अब इसमें उनको रूस की मदद मिलेगी. 

उत्तर कोरिया और रूस के बीच मजबूत आर्थिक और सैन्य संबंधों ने पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है. नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में इस डील को अंतिम रूप दिया गया है. गुरुवार को उत्तर कोरिया ने इस समझौते की कॉपी रिलीज की. इस समझौते को अंतिम रूप देने के बाद व्लादिमीर पुतिन वियतनाम के लिए रवाना हुए. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने "व्यापक सामरिक साझेदारी पर संधि" प्रकाशित की, जो वास्तव में 1960 के दशक के एक निष्क्रिय पारस्परिक रक्षा समझौते को पुनर्जीवित करती है. आइए जानते हैं कि दोनों के बीच किन-किन मुद्दों पर ये समझौता हुआ है.

बुधवार को उत्तर कोरिया और रूस के बीच हुए सैन्य समझौते में परमाणु ऊर्जा, स्पेस रिसर्च, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और सहयोग भी शामिल है. मॉस्को द्वारा एशिया किया गया सबसे बड़ा सैन्य समझौता माना जा रहा है.  राष्ट्रपति के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल के शुरुआत में ही व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था. और इस महीने उन्होंने नॉर्थ कोरिया का दौरा करके ऐतिहासिक समौझता कर डाला.

दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते के मुख्य बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर का आर्टिकल 51 सदस्य देश को व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से आत्मरक्षा में कार्रवाई करने का अधिकार देता है. इसी के तहत दोनों देशों ने ये समझौता किया है कि अगर किसी एक पर आक्रमण होता है तो दूसरा देश तुरंत उसकी रक्षा के लिए सैन्य और अन्य जरूरी सहायता प्रदान करेगा. यह समझौता यूक्रेन के खिलाफ चल रहे युद्ध को प्रभावित करेगा.
     
  • रूस और उत्तर कोरिया किसी दूसरे देश के साथ ऐसा कोई भी समझौता नहीं कर सकते है जो दूसरे पक्ष के मूल हितों का उल्लंघन करती हो. दोनों देश किसी तीसरे देश को अपने क्षेत्र का उपयोग करने की इजाजत न दें अगर दूसरे देश की सुरक्षा और संप्रभुता का उल्लंघन हो रहा है.
     
  • दोनों देश एक दूसरे की संप्रभुता, सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेंगे और वो एक दूसरे की शांतिप्रिय नीतियों का समर्थन तथा एक न्यायपूर्ण  व्यवस्था को बनाने में सहयोग करेंगे.
     
  • इस डील के जरिए दोनों देश एक दूसरे को अंतरराष्ट्रीय सत्र पर सहयोग देंगे. जैसे  संयुक्त राष्ट्र में पारस्परिक हित और सुरक्षा के मुद्दों पर एक दूसरे का साथ. इसके अलावा अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रूस और नॉर्थ कोरिया एक दूसरे का समर्थन और करेंगे.
     
  • अगर कोई देश संकट में है, युद्ध लड़ रहा है तो दूसरा उस युद्ध में उसका साथ तो देगा ही साथ ही साथ युद्ध को रोकने तथा क्षेत्रीय, अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. दोनों देश एक दूसरे की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेंगे.
     
  • जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी समेत दोनों देश एक दूसरे के क्षेत्रों और चुनौतियों से निपटने में मिलकर काम करेंगे. साथ ही दोनों एक दूसरे को व्यापार और अर्थव्यवस्था के विस्तार में सहयोग करेंगे. दोनों देश एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.

समझौते ने बढ़ाई अमेरिका की टेंशन  

इस समझौते ने अमेरिका की बेचैनी बढ़ा दी है. क्योंकि रूस को इस समय हथियारों की जरूरत है. यूक्रेन से युद्ध लड़ने के लिए उसे हथियारों की सख्त जरूरत है. ऐसे में ये समझौता रूस को यूक्रेन के खिलाफ और भी मजबूत कर देगा. इससे अमेरिकी और यूरोपीय देशों की टेंशन बढ़ेगी. क्योंकि वह लगातार यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराते आ रहे हैं. 

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना ​​है कि पुतिन यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए हथियारों के बदले उत्तर कोरिया को परमाणु पनडुब्बी और बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक मुहैया करा रहे हैं. बिडेन प्रशासन को चिंता है कि रूस उत्तर कोरिया को परमाणु-सशस्त्र मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम अपनी पहली पनडुब्बी को तैनात करने के लिए आवश्यक अंतिम चरणों को पूरा करने में मदद कर सकता है. ये इस डील का हिस्सा भी है. ऐसे में अमेरिका की चिंता जायज है.