Russia and North Korea Defence Pact: रूस और उत्तर कोरिया के बीच ऐसा ऐतिहासिक समझौता हुआ जिसने अमेरिका और यूरोपीय देशों की नींद उड़ा दी है. बुधवार की सुबह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 24 साल बाद नॉर्थ कोरिया पहुंचे थे. इतने वर्षों के बाद पुतिन का उत्तर कोरिया जाना ही बड़े समझौते का संकेत था. दोनों देशों के बीच डिफेंस डील पर हस्ताक्षर किए हैं. इस नई डिफेंस डील के अनुसार अगर किसी देश ने दोनों में से किसी पर भी हमला करता है तो यह हमला दोनों पर माना जाएगा और ये दोनों एक साथ मिलकर उस देश से युद्ध लड़ेंगे. किम जोंग उन ने इस ऐतिहासिक डिफेंस डील को एलायंस नाम दिया है. इस संधि से उत्तर कोरिया के एटॉमिक बम की क्षमताओं में वृद्धि होगी. किम जोन उंग परमाणु शक्ति से लैस ऐसी मिसाइल बनाना चाहते हैं. अब इसमें उनको रूस की मदद मिलेगी.
उत्तर कोरिया और रूस के बीच मजबूत आर्थिक और सैन्य संबंधों ने पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ा दी है. नॉर्थ कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में इस डील को अंतिम रूप दिया गया है. गुरुवार को उत्तर कोरिया ने इस समझौते की कॉपी रिलीज की. इस समझौते को अंतिम रूप देने के बाद व्लादिमीर पुतिन वियतनाम के लिए रवाना हुए. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने "व्यापक सामरिक साझेदारी पर संधि" प्रकाशित की, जो वास्तव में 1960 के दशक के एक निष्क्रिय पारस्परिक रक्षा समझौते को पुनर्जीवित करती है. आइए जानते हैं कि दोनों के बीच किन-किन मुद्दों पर ये समझौता हुआ है.
बुधवार को उत्तर कोरिया और रूस के बीच हुए सैन्य समझौते में परमाणु ऊर्जा, स्पेस रिसर्च, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा और सहयोग भी शामिल है. मॉस्को द्वारा एशिया किया गया सबसे बड़ा सैन्य समझौता माना जा रहा है. राष्ट्रपति के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल के शुरुआत में ही व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था. और इस महीने उन्होंने नॉर्थ कोरिया का दौरा करके ऐतिहासिक समौझता कर डाला.
इस समझौते ने अमेरिका की बेचैनी बढ़ा दी है. क्योंकि रूस को इस समय हथियारों की जरूरत है. यूक्रेन से युद्ध लड़ने के लिए उसे हथियारों की सख्त जरूरत है. ऐसे में ये समझौता रूस को यूक्रेन के खिलाफ और भी मजबूत कर देगा. इससे अमेरिकी और यूरोपीय देशों की टेंशन बढ़ेगी. क्योंकि वह लगातार यूक्रेन को सैन्य सहायता मुहैया कराते आ रहे हैं.
अमेरिकी खुफिया अधिकारियों का मानना है कि पुतिन यूक्रेन में अपने युद्ध के लिए हथियारों के बदले उत्तर कोरिया को परमाणु पनडुब्बी और बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक मुहैया करा रहे हैं. बिडेन प्रशासन को चिंता है कि रूस उत्तर कोरिया को परमाणु-सशस्त्र मिसाइल लॉन्च करने में सक्षम अपनी पहली पनडुब्बी को तैनात करने के लिए आवश्यक अंतिम चरणों को पूरा करने में मदद कर सकता है. ये इस डील का हिस्सा भी है. ऐसे में अमेरिका की चिंता जायज है.