इजराइल के मोसाद और ईरान के MOIS में हमेशा छिड़ती है खूनी जंग, क्यों इन एजेंसियों से थर्राती है दुनिया?

इजराइल की खुफिया एजेंसी का नाम मोसाद है. ईरान की खुफिया एजेंसी MOIS है. ईरान भी दुश्मन को घर में घुसकर मारता है, मोसाद तो इसके लिए कुख्यात भी है. आइए जानते हैं दोनों खुफिया एजेंसियों की ताकत.

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दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों की बात आए तो ऐसा नहीं सकता कि इजराइल के मोसाद का जिक्र न हो. ये एजेंसी इतनी खतरनाक हैं कि दुश्मनों को उनकी जमीन में घुसकर मारती है. इसके प्लान इतने सीक्रेट होते हैं कि अमेरिकन खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) और CIA तक को खबर नहीं होती. मोसाद और ईरान की खुफिया एजेंसी मॉइस (MOIS) एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह ये है कि दोनों दुश्मन एजेंसियां, एक-दूसरे को मरने-मारने पर उतारू हो गई हैं.

मोसाद और मॉइस दोनों बेहद खतरनाक एजेंसियां हैं. दोनों एक-दूसरे के देश में घुसकर जमकर कत्ल-ए-आम मचाती हैं. गाजा में हमास के साथ मिलकर मॉइस काम करता है. ऐसा कई बार हुआ है, जब ईरानी खुफिया एजेंसी मोसाद पर भारी पड़ी है. ईरान ने मोसाद के एजेंटों को भी मौत के घाट उतारा है. दोनों एजेंसियां कितनी खतरनाक हैं, कौन कितना मजबूत है, आइए समझते हैं.

बेहद खतरनाक हैं मॉइस के इरादे, इस्लामिक शासन की करता है मांग

मॉइस के इरादे बेहद खतरनाक हैं. ईरान चाहता है कि खाड़ी के देशों में इस्लामिक शासन रहे. उसे फिलिस्तीन पर इजराइल का दखल जरा भी मंजूर नहीं है. गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों को मॉइस ट्रेनिंग भी देता है. ईरान की दो एजेंसियां हैं. MOIS और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC). दोनों एजेंसियां बेहद घातक हैं. उनके मिशन को कोई भी एजेंसी ट्रैक नहीं कर पाती है. सोचकर देखिए, तेहरान में अमेरिका है लेकिन उसे खबर नहीं होती कि ईरान कर क्या रहा है. 

दोनों एजेंसियां हथियार के कारोबार में भी शामिल हैं. उन्हें पता है कि कहां से कब मिसाइल और ड्रोन दागने हैं, कहां से वे अपने दुश्मनों की नाक में दम कर सकती हैं. उन्हें विदेश में जाकर लोगों को ठोक देने आता है. MOIS और IRGC के एजेंट आम लोगों की वेश-भूषा में रहते हैं. वे कई देशों में अंडर कवर रहते हैं लेकिन अपने खिलाफ चल रही हर साजिश का पता लगाते हैं और दुश्मनों को वहीं ढेर कर देते हैं. इजराइल पर हुए हमास के हमलों को भी इनके ही कहने पर अंजाम दिया गया है.

ईरान में अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक के खुफिया एजेंट रहते हैं. ईरान की सब पर नजर होती है. दुनिया वहां के राजशाही, इस्लामी शासन और कुर्द लड़ाकों को लेकर चिंता में रहती है. ईरान में वामपंथी इस्लामी संगठन मुजाहिदीन-ए ख़ल्क (MEK) भी सक्रिय है. इसे भी मॉइस प्रतिबंधित करने की फिराक में रहता है. दोनों एजेंसियां कई बार मोसाद के लड़ाकों को मार चुकी हैं.

कितना खतjनाक है मोसाद, कैसे ईरान की नाक में करता है दम?

अगर हथियारों की बात करें तो सबसे ताकतवर जांच एजेंसी मोसाद है. टार्गेट किलिंग में मोसाद का कोई जवाब नहीं है. ईराक, ईरान, लेबनान, सऊदी अरब, अमेरिका, कनाडा, इजिप्ट शायद ही ऐसा कोई देश हो, जो मोसाद की पहुंच से बाहर हो. मोसाद, इजराइली डिफेंस फोर्सेज का वह हथियार है, जिसके दम पर दुश्मनों को डर लगता है.

मोसाद पर इजराइल पानी की तरह पैसे बहाता है. मोसाद का सालाना बजट करीब 3 बिलियन डॉलर है. इसमें करीब 7,000 ट्रेंड कमांडोज काम करते हैं. मोसाद, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एजेंसी है. अमेरिका की CIA जितनी ही ये खतरनाक एजेंसी है.  मोसाद कैसे काम करता है, यह किसी को पता नहीं होता. उनके पास अत्याधुनिक हथियार होते हैं, उनके पास सुरक्षित बेस होते हैं लेकिन उनका ऑर्गेनाइजेशनल स्ट्रक्चर जरा भी किसी को नहीं पता होता. 

लेबनॉन, सीरिया और ईरान में मोसाद से एजेंट छिपे रहते हैं. वे वहां से खुफिया जानकारियां भेजते हैं. दुश्मनों को वे ऐसे मारते हैं कि जैसे लगे स्वाभाविक मौत हो. मोसाद विद्रोहियों को नहीं बख्शता है. मोसाद का कलेक्शन डिपार्टमेंट पूरी दुनिया में फैला है. इजराइल इस्लामिक देशों से बुरी तरह घिरा है. अगर वह अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत न रखे तो दुनिया का इकलौते यहूदी देश का नामो-निशान मिट जाएगा. 

टार्गेट किलिंग में नहीं है मोसाद का कोई जवाब

मोसाद, इजराइल की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है. अगर आपको 1980 का दशक याद हो तो आप मोसाद के काम करने के तरीके से भी वाकिफ होंगे. फिलिस्तीनी आतंकवादी गुटों को ठिकाने लागने के लिए मोसाद ने गुलदस्ते भेजकर दुश्मनों को ढेर किया है. एक गुलदस्ता लोगों को भेजा जाता, अगले कुछ दिनों में उनकी हत्या कर दी जाती. मोसाद ऐसे ही अपने दुश्मनों को ढेर करता रहा है.