Why Islamic State Target Russia: रूस के मॉस्को में शुक्रवार रात को एक कॉन्सर्ट हॉल में आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर दी. इस घटना में 115 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोग गंभीर रूप से घायल हैं, उनका इलाज किया जा रहा है. हमले के दौरान के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट के सहयोगी इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएसआईएस-के) ने ली है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर इस्लामिक स्टेट रूस के पीछे क्यों पड़ा है. वजह क्या है?
यह हमला रूस और इस्लामिक स्टेट के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बीच हुआ है, जो साल 2015 में सीरियाई गृहयुद्ध में राष्ट्रपति पुतिन के हस्तक्षेप के साथ शुरू हुआ था. पुतिन ने इस्लामिक स्टेट के खिलाफ राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन किया था. हालाकि ये पहली बार नहीं है कि ISIS-K ने रूस को निशाना बनाया है.
साल 2022 में ISIS-K ने अफगानिस्तान के काबुल में रूसी दूतावास पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें दूतावास के दो कर्मचारियों समेत 8 लोगों की मौत हुई थी. यह घटनाक्रम तब हुआ जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद आईएसआईएस-के को दूसरी बार हवा मिल गई है. वह तालिबान-नियंत्रित देश के बाहर नए टारगेट की तलाश कर रहा है.
आईएसआईएस-के का जन्म 2015 में पाकिस्तानी तालिबान के नाखुश सदस्यों ने किया था. इसने अफगान सुरक्षा बलों, मंत्रालयों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले करके तेजी से अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि बढ़ाई.
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के अनुसार आईएसआईएस-के को 2018 में टॉप चार घातक आतंकवादी संगठनों में से एक घोषित किया गया था, जिसे इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के केंद्रीय नेतृत्व से $ 100 मिलियन पैसा और ट्रेनिंग हासिल की.
हालांकि अमेरिकी सेना, अफगान कमांडो और अफगान तालिबान के तीन ओर से लगातार कार्रवाई के कारण ये संगठन अपना रुतबा बनाने में नाकाम रहा. इसी प्रकार 2021 तक आईएसआईएस-के के पास केवल 1,500-2,000 लड़ाके ही बचे थे, क्योंकि अमेरिकी हवाई हमलों में उनके शीर्ष नेताओं का सफाया हो गया था.
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान की ओर से अफगान सरकार पर कब्जा करने के बाद संगठन का फिर से जन्म हुआ है. साल 2021 में ISIS-K ने काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आत्मघाती बम विस्फोट किया, जिसमें 13 अमेरिकी सुरक्षाकर्मी और 170 नागरिकों की मौत हुई.
संगठन ने अब अफगानिस्तान के बाहर अपना अभियान बढ़ाना शुरू कर दिया है. आईएसआईएस-के में दक्षिण एशिया, मध्य पूर्व और यूरोप के कुछ हिस्सों से विदेशी लड़ाकों का एक कैडर है. जनवरी में आईएसआईएस-के ने ईरान में मेजर जनरल कासिम सुलेमानी के स्मारक जुलूस के दौरान आत्मघाती बम विस्फोट किया था, जिसमें 84 लोग मारे गए थे. कुछ दिनों बाद, नकाबपोश आईएसआईएस-के हमलावरों ने इस्तांबुल में एक रोमन कैथोलिक चर्च पर हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई.
उधर, मॉस्को सिटी हॉल में गोलीबारी करने वाले 4 आतंकियों की पहचान हो चुकी है. इनके नाम मोहम्मद नसरीदीनोव मखमद्रसुल (37 वर्ष), मोहम्मद इस्मोनोव रिवोजहिदीन (51 वर्ष), मोहम्मद सफोल्जोदा शोखिनजॉन (21 वर्ष) और मोहम्मद नजरोव रुस्तम (29 वर्ष) के रूप में हुई है. दावा किया जा रहा है कि आतंकवादी हमले का संदिग्ध मारा भी गया है. मॉस्को से 200 मील दक्षिण-पश्चिम में सुरक्षा बलों ने हमलावर के वाहन पर गोली चलाई, जिसमें सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई. कार की तलाशी में एक मशीन गन और पिस्तौल मिली है. माना जा रहा है कि इन्हीं हथियारों का इस्तेमाल क्रोकस सिटी हॉल फायरिंग में किया गया था.