Iran Israel conflict: दमिश्क में ईरानी दूतावास पर इजराइल ने हमला किया था. जवाब में ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइल दागे, ड्रोन हमले किए. इजराइल के आयरन डोम ने ज्यादातर मिसाइलों को मार गिराया लेकिन कुछ इलाकों में वह खुद को बचा नहीं पाया. साउथ नेगेव रेगिस्तान में नेवातिम और रेमन एयरबेस और एक रडार इस हमले में क्षतिग्रस्त हो गया.
इजराइल अब दोहरे मोर्चे पर जूझ रहा है. गाजा और वेस्ट बैंक में उसकी सेनाएं 6 महीने से जंग लड़ रही हैं. हमास के आतंकियों से लड़ना, इतना भी आसान नहीं है. वैश्विक दबाव पड़ रहे हैं. साइबर हमले हो रहे हैं. ईरान भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है, ऐसे में खतरे की आशंका और बढ़ गई है.
अस्थिरता का भारत पर क्या पड़ेगा असर?
इजराइल डिफेंस सेक्टर में भारत का भागीदार है. भारत के लोग इजराइल भी कमाने जाते हैं और ईरान भी. दोनों देशों की तनावपूर्ण स्थितियों की वजह से लोग देश लौट रहे हैं. खाड़ी देशों का यह तनाव, मोहभंग की स्थिति पैदा कर रहा है. भारत के लिए दोनों देशों का मजबूत और स्थिर होना जरूरी है. अगर प्रवासी वहां सुरक्षित नहीं रहेंगे, बंधक बनने और जान जाने के खौफ में रहेंगे तो वहां जाएंगे ही क्यों.
मध्य-पूर्व की अस्थिरता, दुनिया के लिए भी है खतरा
मध्य पूर्व की यह अस्थिरता, वैश्वीकरण के लिहाज से भी ठीक नहीं है. भारत इजराइल और ईरान दोनों देशों से उम्मीद करता है कि बातचीत के जरिए समाधान निकालें. इजराइल में हमास से छिड़ी वार के बाद मजदूरों की किल्लत हो गई, जिसके बाद 6000 मजदूरों के भारत से जाने की खबरें सामने आई थीं. ऐसे माहौल में अब लोग अपनों को इजराइल जैसे देश बी क्यों जाने देंगे. ईरान ने जिस इजराइल से दुश्मनी मोल ली है, उसके बारे में कहा जाता है कि वह घर में घुसकर मारता है. ऐसे खूनी संघर्ष के बीच वहां कौन जाएगा, यह सोचने वाली बात होगी.