Pope Francis Red Shoes: कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वेटिकन ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा, 'पोप फ्रांसिस अब नहीं रहे, उन्होंने ईस्टर सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को 88 वर्ष की उम्र में कासा सांता मार्टा स्थित अपने आवास पर आखिरी सांस ली.' लंबे समय से बीमार चल रहे पोप फ्रांसिस अपने सादगी भरे जीवन और लाल जूतों की अनूठी परंपरा के लिए भी जाने जाते थे.
पोप फ्रांसिस को हाल ही में रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनके फेफड़ों और किडनी से संबंधित गंभीर समस्याओं का इलाज चल रहा था. उनकी सादगी और विनम्रता ने उन्हें विश्व भर में लोकप्रिय बनाया. 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद वे पहले लैटिन अमेरिकी पोप बने थे.
लाल जूतों की परंपरा
पोप फ्रांसिस के लाल जूते हमेशा चर्चा में रहे. यह परंपरा 2003 में शुरू हुई, जब इतालवी मोची एंटोनियो अरेलानों ने पोप के लिए लाल चमड़े के जूते बनाए. अरेलानों ने सीएनए को बताया, “जब हम आम दर्शन सभा में पहुंचे, तो पोप ने मुझे पहचान लिया और बोले, यह मेरा शूमेकर है. यह मेरे लिए अद्भूत क्षण था.' यह परंपरा पोप बेनेडिक्ट XVI से शुरू हुई और फ्रांसिस ने इसे आगे बढ़ाया था.
लाल जूतों का प्रतीकात्मक महत्व
कैथोलिक मान्यता के मुताबिक, लाल रंग शहादत और ईसा मसीह के जुनून का प्रतीक है. यह जूते कैथोलिक शहीदों के बलिदान और कार्डिनल्स की लाल वेशभूषा की याद दिलाते हैं. यह रंग चर्च के इतिहास में जानबूझकर चुना गया है.
सादगी के प्रतीक थे फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस ने कभी चर्च से वेतन नहीं लिया और अपनी सादगी से दुनिया को प्रेरित किया. उनके निधन से कैथोलिक समुदाय में शोक की लहर है.