यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस शिकागो (UIC) के एक छात्र मोहम्मद नुसैरात ने कुछ ऐसा कहा है, जिसकी वजह से अमेरिकी सरकार बुरी तरह से घिर गई है. 3 मई, 2024 को एक वायरल वीडियो में वह कुछ ऐसा कहता नजर आ रहा है, जिस पर हंगामा खड़ा हो गया है. वीडियो में मोहम्मद नुसैरात ने अमेरिका को कैंसर बताया है. अमेरिकी तंत्र पर मोहम्मद नुसैरात सवाल उठाए और कहा कि यहां का लोकतंत्र, यहां की धर्म निरपेक्षता और पूंजीवाद कैंसर है. अमेरिका ने पूरी दुनिया में कैंसर फैला दी है. अमेरिका कैंसर है. मोहम्मद नुसैरात का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
मोहम्मद नुसैरात ने कहा, 'अमेरिका, अमेरिकी सरकार, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, पूंजीवाद, ये ऐसे कैंसर हैं जो पूरी दुनिया में फैल चुके हैं. अमेरिका और मिडिल ईस्ट में भी. अमेरिका में, यहां के लोगों को ज़िना की आज़ादी है, लेकिन जब आप बोलते हैं तो लोगों को इस पर ऐतराज होने लगता है.' ज़िना का अर्थ, हिंदी में व्यभिचार होता है. मोहम्मद नुसैरात के बयान बेहद कट्टरपंथी तेवर वाले रहे हैं. कट्टर इस्लामिक लोग उसके वीडियो को जमकर शेयर कर रहे हैं.
मोहम्मद नुसैरात की UIC में कंप्युटर साइंस में ग्रेजुएशन कर रहा है. वह डेटा साइंस में ग्रेजुएशन की तैयारी कर रहा है लेकिन सोच उसकी बेहद कट्टरपंथी है. वह इस्लामिक विषयों पर बात करता है और उसके भाषण, लोकतंत्र और आजादी के खिलाफ ही होते हैं. लोग उसके वायरल वीडियो को देखकर कह रहे हैं कि अगर ऐसे लोग अमेरिका में रहे तो उसे भी ईरान और इराक बना देंगे.
मोहम्मदर नुसैरात ने कहा है कि मुसलमान अमेरिकी सरकार और लोकतंत्र से थक चुके हैं, और वे जीवन का एक नया तरीका चाहते हैं. लोग उसके भाषणों पर भड़के हुए हैं. कुछ यूजर्स ने लिखा है कि ऐसे शख्स को अमेरिका से भगा देना चाहिए, उसे वहां रहने का हक नहीं है.
#ICYMI: University of Illinois Chicago Students at Friday Sermon: America Is a Cancer; People Are Tired of Democracy, and Muslims Have an alternative Way of Life to Offer; May Allah Make Us Among the Liberators of the Al-Aqsa Mosque @thisisUIC pic.twitter.com/uMXfyimttx
— MEMRI (@MEMRIReports) June 15, 2024
मुसाब काजी नाम के एक अन्य शख्स ने उसी वायरल वीडियो में कहा था कि फिलिस्तीन की मुक्ति अमेरिका, कांग्रेसियों या सीनेटरों के प्रयासों से नहीं, बल्कि मुस्लिम राष्ट्र के हस्तक्षेप से मिलेगी. मुसाब को इतना भरोसा था कि उसने कहा कि इस रूम में जितने मुसलमान मौजूद हैं, वे ही मस्जिद अल-अक्सा को यहूदियों से बचा सकते हैं.