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कहां गायब हो गया धरती की पूंछ का तूफान? NASA के लिए रहस्य बना पृथ्वी का मैग्नेटोटेल, जांच में जुटी एजेंसी

Mystery of Earth's magnetotail: सूर्य से निकलने वाली सोलर हवा पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड से टकराती है, जिससे हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक मैग्नेटिक टेल का निर्माण होता है. आमतौर पर इस मैग्नेटिक टेल में कई मैग्नेटिक तूफान देखे जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों को इस मैग्नेटिक टेल में एक रहस्य का सामना करना पड़ा है - एक लापता तूफान!

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Edited By: India Daily Live
Earth Magnetosphere

Mystery of Earth's magnetotail: पृथ्वी अपने चारों ओर एक मैग्नेटिक फील्ड का निर्माण करती है, जो सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों के प्रवाह, सोलर हवा, को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस मैग्नेटिक फील्ड का आकार किसी आंसू की तरह होता है, और इसकी पूंछ अंतरिक्ष में दूर तक फैली रहती है. इसी मैग्नेटिक टेल में आम तौर पर कई तरह के मैग्नेटिक  तूफान देखे जा सकते हैं. ये तूफान तब बनते हैं जब पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड सोलर हवा के साथ परस्पर क्रिया करता है.

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों को इस मैग्नेटिक टेल में एक रहस्य का सामना करना पड़ा है - एक लापता तूफान! वैज्ञानिकों ने वहां मैग्नेटिक  तूफान के संकेत पाए हैं, जिन्हें "रिकॉम्बिनेशन" की घटना से जोड़ा जा सकता है, लेकिन वास्तविक तूफान कहीं नहीं दिखता.

ये रिकॉम्बिनेशन दरअसल मैग्नेटिक फील्ड रेखाओं का आपस में टकराना, टूटना और फिर से जुड़ना होता है, जिससे ऊर्जा का निष्कासन होता है. यही प्रक्रिया अक्सर पृथ्वी के वातावरण में अरोरा (ध्रुवीय ज्योति) का कारण बनती है.

नासा का मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल (MMS) मिशन इस रहस्य की जांच कर रहा है. MMS चार अंतरिक्ष यानों का एक समूह है जिन्हें 2015 में लॉन्च किया गया था. ये यान पृथ्वी के मैग्नेटोपॉज का अध्ययन कर रहे हैं, जो वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी का मैग्नेटिक फील्ड सोलर हवा के संपर्क में आता है. मैग्नेटोपॉज में अक्सर मैग्नेटिक  रिकॉम्बिनेशन होता रहता है.

2017 में, MMS ने एक सबस्टॉर्म (लघु-तूफान) के खास मैग्नेटिक रिकॉम्बिनेशन का पता लगाया. सबस्टॉर्म वे छोटे मैग्नेटिक  तूफान होते हैं जो पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड में ऊर्जा के अचानक पुनर्वितरण के कारण बनते हैं. आमतौर पर इन सबस्टॉर्म के साथ तीव्र विद्युत धाराएं और मैग्नेटिक फील्ड में उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं. लेकिन MMS को इनमें से किसी का भी पता नहीं चला.

यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी पहेली बन गई है. दक्षिण-पश्चिम शोध संस्थान में पोस्टडॉक एंडी मार्शल का कहना है कि "हमने अभी तक वैश्विक स्तर पर मैग्नेटिक फील्ड रेखाओं की गतिविधि को नहीं देखा है. इसलिए यह हो सकता है कि यह असामान्य सबस्टॉर्म एक बहुत ही स्थानीय घटना थी जिसे MMS संयोग से देख पाया."

वहीं दूसरी ओर यह भी संभव है कि MMS ने किसी अज्ञात प्रकार के मैग्नेटिक  रिकॉम्बिनेशन को देखा हो, जो किसी खास सबस्टॉर्म से जुड़ा न हो. यदि ऐसा है, तो यह हमारी इस समझ को बदल सकता है कि पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड की पूंछ में होने वाले रिकॉम्बिनेशन का वास्तविक सबस्टॉर्म से क्या संबंध है.

इस रहस्य को सुलझाने के लिए MMS अगले एक साल में पृथ्वी के वास्तविक मैग्नेटिक फील्ड में मैग्नेटिक  रिकॉम्बिनेशन को मापने का काम करेगा. साथ ही जमीन पर स्थित वैज्ञानिक भी पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड के व्यवहार को समझने के लिए कम्प्यूटर सिमुलेशन का सहारा लेंगे. इन दोनों तरीकों से प्राप्त आंकड़ों की तुलना करके वैज्ञानिक इस रहस्य का पर्दाफाश करने की कोशिश करेंगे.