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India Daily

अब शांति होगी कायम! PM मोदी की USA यात्रा निकालेगी रूस-यूक्रेन जंग का समाधान?

PM Modi USA Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-23 सितंबर तक अमेरिका यात्रा पर हैं. इस दौरान वह कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. हालांकि उनका सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा रूस-यूक्रेन युद्ध होगा. मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में दो बार यूरोप का दौरा किया है और वह उन चुनिंदा वैश्विक नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने पुतिन और जेलेंस्की दोनों से बातचीत की है.ऐसे में उम्मीद की जा रही है इस यात्रा के दौरान इस संघर्ष पर कोई ठोस समाधान निकले.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
PM Modi USA Visit
Courtesy: Social Media

PM Modi USA Visit: द्विपक्षीय बैठकें, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ राउंड टेबल मीट, प्रवासी कार्यक्रम नरेंद्र मोदी की 21-23 सितंबर की अमेरिका यात्रा का मुख्य हिस्सा हो सकते हैं. इन सबके बीच एक पहलू ऐसा है जो प्रधानमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी. वह है ग्लोबल साउथ पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव और यूरोप में शांति. 

अपने तीसरे कार्यकाल में पीएम मोदी दो बार यूरोप का दौरा कर चुके हैं और वह उन कुछ चुनिंदा वैश्विक नेताओं में से हैं जिन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके यूक्रेनी समकक्ष वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की दोनों के साथ बातचीत की है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बाद इतालवी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भी रूस-कीव गतिरोध को हल करने के लिए भारत की क्षमता पर भरोसा जताया है. 

पीएम ने किए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास

वैश्विक मामलों के जानकारों के मुताबिक, भारत को एक अनूठा लाभ प्राप्त है वह न तो यह नाटो का हिस्सा है न ही यूरोप में शांति बहाल करने के अलावा इसका कोई अन्य गुप्त उद्देश्य है.  यह बातें ग्लोबल पावर के रूप में भारत को एक सहज खिलाड़ी बनाती हैं, जिससे वार्ता के लिए हर कोई तैयार है. पीएम मोदी विश्व के अकेले ऐसे नेता हैं जिन्होंने दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर प्रयास किए हैं. 

संघर्ष को लेकर भारत का रुख

पीएम मोदी ने  कीव से लौटने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और राष्ट्रपति पुतिन दोनों से बात की. इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को उनकी कीव यात्रा की जानकारी देने के लिए व्यक्तिगत तौर पर पुतिन के पास भेजा. हालांकि भारत के पास अभी तक कोई शांति फार्मूला नहीं है लेकिन विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले नई दिल्ली में एक ब्रीफिंग के दौरान कहा था कि भारत इस मसले पर कई महत्वपूर्ण साझेदारों और नेताओं के साथ बातचीत कर रहा है. संघर्ष को लेकर अब तक  भारत का रुख यही रहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है. युद्ध के मैदान में समाधान नहीं खोजा जा सकता है और सभी हितधारकों के बिना शांति वार्ता नहीं हो सकती है.

शांति प्रयासों में भारत का रोल 

यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री अपने तीसरे कार्यकाल में अमेरिका की यात्रा कर रहे हैं . इस दौरान वह और रूस-यूक्रेन संघर्ष की बेहतर समझ के साथ वहां जा रहे हैं. डेलावेयर में जब वह क्वाड नेताओं से मिलेंगे तो युद्ध पर चर्चा होने की पूरी संभावना है. इस दौरान उम्मीद है कि पीएम मोदी  यूरोप के अन्य देशों के अलावा रूस और यूक्रेन दोनों के दृष्टिकोण साझा कर सकते हैं और शांति प्रयासों में भारत के रोल पर वकालत कर सकते हैं. 

संयुक्त बयान में होगा बदलाव?

कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस बार क्वाड के संयुक्त बयान में रूस-यूक्रेन संघर्ष पर पैराग्राफ की भाषा में बदलाव किया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक,  इसमें सभी सदस्य देशों के विचारों को प्रतिबिंबित किया जाएगा जिसमें ग्लोबल साउथ पर पड़ने वाले युद्ध के प्रभाव पर पीएम मोदी के वक्तव्य को भी शामिल किया जाएगा. पीएम मोदी 21 सितंबर को जो बाइडन से मुलाकात करेंगे. इसके ठीक एक माह बाद वह रूसी शहर कजान में होने वाले ब्रिक्स समिट में शिरकत करेंगे. इस समिट में मॉस्को की ओर से पहले ही पीएम मोदी के साथ एक अलग बैठक का प्रस्ताव रखा गया है. 

पीएम मोदी ने दिया आलोचकों को जवाब 

इससे पहले पीएम मोदी को मॉस्को जाने और पुतिन को गले लगाने के लिए पश्चिमी भू-राजनीतिक विशेषज्ञों की आलोचना का सामना करना पड़ा था.  हालांकि, उन्होंने यूक्रेन का दौरा करके आलोचकों को चुप करा दिया साथ शांति वार्ता में योगदान देने की भी वकालत की. इस पूरे घटनाक्रम से दुनिया चौंक गई और यूरोप के भीतर शांति लाने के भारत के प्रयासों पर मुखरता से ध्यान दिया.