UK Elections: यह साल चुनावी साल कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. इस साल दुनियाभर के 70 देशों चुनाव हो चुके हैं या पूरे होने वाले हैं. कई देशों में सरकारों का भी गठन हो गया. फ्रांस में जहां पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया है. वहां अगले चरण का मतदान सात जुलाई को है. इस बीच ब्रिटेन की जनता भी मतदान के लिए तैयार है. ब्रिटेन में 4 जुलाई को आम चुनाव होने जा रहा है. 650 सीटों वाले आम चुनाव में भारतवंशी ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की प्रतिष्ठा दांव पर है. यह चुनाव कंजरवेटिव नेता सुनक और विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टर्मर के बीच है.
देशभर में किए गए पोल्स के मुताबिक, कीर स्टर्मर के नेतृत्व वाली विपक्षी लेबर पार्टी के सत्ता में आने की उम्मीद है. ऐसे में कहा जा रहा है 14 साल से सत्ता पर कायम कंजरवेटिव पार्टी के राज का अंत हो जाएगा. पीएम सुनक ने संसद का कार्यकाल पूरा होने के सात महीने पहले ही किंग चार्ल्स को कहकर संसद को भंग करा दिया. उन्हें उम्मीद थी कि ऐसा करने के बाद कंजरवेटिव पार्टी दोबारा सत्ता में आ जाएगी. हालांकि ब्रिटिश जनता के रुख को देखते हुए यह मुश्किल नजर आ रहा है.
किसी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आम चुनाव में सदन की 650 सीटों में से 326 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी. जिस पार्टी के पास यह गोल्डन नंबर होगा उसका नेता ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनेगा. पार्टियां प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र पर अपना उम्मीदवार उतारती हैं और स्थानीय मतदाता उसकी जीत और हार पर मोहर लगाते हैं.
त्रिशंकु संसद वह होती है जिसमें किसी पार्टी को चुनाव के दौरान बहुमत नहीं मिलता. यानी किसी एक पार्टी को संसद के निचले सदन अर्थात हाउस ऑफ कॉमंस में आधे से अधिक सीटें नहीं मिलती हैं तो उसे त्रिशंकु संसद कहा जाता है. इस मामले में मौजूदा प्रधानमंत्री सत्ता में बना रहता है और उसे गठबंधन बनाकर या अल्पमत के साथ सरकार बनाने का पहला मौका दिया जाता है. हालांकि ऐसी स्थिति में मौजूदा सरकार को किसी भी कानून को पारित करने के लिए अन्य दलों की कृपा पर निर्भर रहना पड़ता है.
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी ने अपने चुनावी अभियान के दौरान चेतावनी दी थी कि लेबर पार्टी को सुपरमजोरिटी मिल सकती है जिससे वह ऐसे सुधारों पर भी कानून बना सकती है जो उसने अपने घोषणापत्र में नहीं बताए थे. सामान्य शब्दों में जब किसी दल को चुनावों में साधारण बहुमत से ज्यादा सीटें हासिल हो जाती हैं तो इसे सुपरमेजोरिटी कहा जाता है. कई लोकतांत्रिक देशों में इसे इसे कानूनी रुप से परिभाषित किया गया है. राजनीतिक दलों के पास जब सुपर मेजोरिटी होती है तब वे ऐसे कानूनों या परिवर्तन करने की वकालत करते हैं जो अप्रत्याशित होते हैं. इसका इस्तेमाल आमतौर पर संविधान में संशोधन करने में किया जाता है.
आम चुनावों के तुरंत बाद ब्रिटेन में एग्जिट पोल्स की शुरुआत हो जाती है. इसके साथ ही मतगणना भी तुरंत आरंभ हो जाती है और कुछ ही घंटों में फाइनल नतीजे आ जाते हैं. ज्यादातर नतीजे रात भर में घोषित हो जाते हैं. आम चुनाव के नतीजे आमतौर पर सुबह 5 बजे से 7 बजे की स्पष्ट हो जाते हैं कि देश में किसकी सरकार बनने वाली है.
यूके में मतदान के दिन मतदाता की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए और वह ब्रिटिश नागरिक, आयरिश नागरिक या राष्ट्रमंडल देशों का नागरिक होना चाहिए. ब्रिटेन में लगभग 50 मिलियन रजिस्टर्ड वोटर हैं. वोट के लिए मतदान केंद्र सुबह 7 बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुले रहते हैं. ब्रिटेन का यह पहला आम चुनाव है जिसमें मतदाताओं को वोटिंग के लिए अपने साथ पहचान पत्र लेकर जाना होगा.
आम चुनाव के परिणाम स्पष्ट हो जाने के बाद सबसे ज्यादा सीट हासिल करने वाली पार्टी का नेता किंग चार्ल्स के सामने सरकार बनाने का अनुरोध पेश करेगा. इसके बाद वह नए प्रधानमंत्री के रूप में डाउनिंग स्ट्रीट जाएगा और ब्रिटिश जनता को संबोधित करेगा.