हाल ही में अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीय नागरिकों ने अपनी आपबीति साझा की है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीर बांधकर वापस भारत भेजा गया. अमेरिका से भारत लौटने के दौरान उनका दर्दनाक अनुभव सामने आया, जिसमें उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न हुआ.
अमेरिका से भारत लौटने वाले 104 निर्वासितों में 19 महिलाएं और 13 बच्चे भी शामिल थे. इनमें से कुछ ने बताया कि वे पूरी यात्रा के दौरान अपनी कड़ी सुरक्षा में थे, जिनमें हाथों में हथकड़ी और पैरों में जंजीरें बांधी गई थीं. पंजाब के गुरदासपुर से संबंध रखने वाले जसपाल सिंह ने बताया कि "हमें सिर्फ अमृतसर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद ही हथकड़ी और जंजीरें खोली गईं."
जसपाल सिंह ने बताया कि उन्हें यह भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उन्हें भारत भेजा जा रहा है. वह समझ रहे थे कि उन्हें एक अन्य शिविर में भेजा जाएगा, लेकिन एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे भारत वापस जा रहे हैं. जसपाल ने कहा कि वह अमेरिका में 11 दिन तक हिरासत में रहे थे और इसके बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया.
एक और निर्वासित हरविंदर सिंह ने बताया कि उनका यात्रा अनुभव बेहद कठिन था. उन्होंने बताया कि उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा और निकारागुआ होते हुए मेक्सिको तक भेजा गया. मेक्सिको से अमेरिका जाते समय उन्हें एक नाव में समुद्र पार करना पड़ा, जो डूबने के कगार पर थी, लेकिन किसी तरह वे बच गए. हरविंदर ने कहा, "मैंने पनामा के जंगल में एक व्यक्ति को मरते हुए और समुद्र में एक अन्य व्यक्ति को डूबते हुए देखा."
पंजाब से एक और निर्वासित ने बताया कि यात्रा के दौरान उनका सामान चोरी हो गया. उन्होंने कहा, "हमारे कपड़े, जिनकी कीमत लगभग 30,000 से 35,000 रुपये थी, चुराए गए." यह सब उस कठिन 'गधे के रास्ते' के दौरान हुआ, जिसे वे अमेरिका पहुंचने के लिए पार कर रहे थे.
अमेरिका द्वारा किए गए यह निर्वासन भारतीय प्रवासियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है. कुछ दिन पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से पहले यह कार्रवाई की गई, जब अमेरिकी अधिकारियों ने 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों की सूची तैयार की थी. यह घटना भारत और अमेरिका के संबंधों में एक नया मोड़ ला सकती है, क्योंकि इन निर्वासितों के अनुभव और संघर्ष से यह साफ हो जाता है कि अवैध प्रवासन कितनी बड़ी और कठिन समस्या बन चुका है.