अंटार्किटिका कई रहस्यों से भरा हुआ है. ये जगह अभी भी इंसानों के लिए अबूझ पहेली है. मोटी बर्फ की परत के नीचे क्या है ये पता लगाना मुश्किल है. ये जगह इंसानी पहुंच से अभी बाहर है, इसलिए इसके बारे में ज्यादा जानकारी निकलकर नहीं आती. पृथ्वी के सबसे रहस्यमय स्थानों में अंटार्कटिका का नाम सामने आता है.
बर्फ से जमे हुए इस महाद्वीप में कई सारे राज छुपे हैं. ऐसा ही एक रहस्य है लाल बहने वाला झरना जिसे खून झरना भी कहा जाता है. अंटार्कटिका के टेलर ग्लेशियर के नीचे से वेस्ट लेक बोनी में बहने वाला यह झरना खून जैसे लाल रंग के कारण चर्चा में है. इसकी खोज कई साल पहले हुई थी. ऑस्ट्रेलियाई भूविज्ञानी थॉमस ग्रिफिश टेलर ने अंटार्किटिका के दौरे के दौरान इसे खोजा था. शुरुआत में भूविज्ञानियों ने यह माना की लाल शैवाल की अधिकता की वजह से यहां बर्फ का रंग खून के जैसे लाल हो गया है. लेकिन बाद में 2003 में एक दशक के बाद इसकी सच्चाई सामने आई.
वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने इसकी जांच और सच्चाई का पता लगाया. इस जांच में निकल कर सामने आया कि झरने में आयरन ऑक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा है. इसलिए ग्लेशियर के नीचे का खारा पानी हवा के संपर्क में आता है तो वह अकार्बनिक यौगिक बन सकता है.
इस जगह पर एक्सट्रोफाइल माइक्रोबियल पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है, जिसकी वजह से यहां के नमक का स्तर समुद्री नमक की तुलना में बहुत अधिक है. आयरन से भरा पानी बर्फ के जरिए रिसकर ऊपर आता है. ऊपर मौजूद नमक और हवा के संपर्क में आते साथ ही यह ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया कर लेता है, जिसकी वजह से इसका रंग लाल दिखाई देता है.