इजरायल के सीरिया पर हमलों से बौखलाए रूस के राष्ट्रपति पुतिन, IDF को लेकर दिया डराने वाला बयान

रूसी राष्ट्रपति पुतिन का यह बयान सीरिया में इजरायल की बढ़ती सैन्य भूमिका और इजराइल द्वारा दी गई सुरक्षा आश्वासनों पर सवाल खड़ा करता है. रूस, जो सीरिया में असद शासन का समर्थन करता है, इजरायल की सैन्य उपस्थिति पर निगरानी बनाए हुए है, जिससे क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा पर नए दबाव की स्थिति बन रही है.

Social Media
Mayank Tiwari

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि सीरिया में असद शासन के पतन का मुख्य लाभार्थी इजरायल है. ऐसे में पुतिन ने स्थिति स्थिर होने पर बफर जोन से सैनिकों को वापस बुलाने की इजरायल की योजना पर संदेह जताया है. पुतिन ने सीरिया में इजरायल द्वारा क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने की निंदा की. साथ ही कहा कि उन्हें लगता है कि इजरायल का सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का कोई इरादा नहीं है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मास्को में अपनी वार्षिक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, "हमें उम्मीद है कि इजराइल कभी न कभी सीरिया की ज़मीन छोड़ देगा, लेकिन अब वह और अधिक सैनिक भेज रहा है. उनका यह बयान सीरिया में इजरायल की सैन्य उपस्थिति को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के बीच आया है. पुतिन ने यह भी कहा कि इजरायल का यह कदम असद शासन के पतन के बाद की स्थिति को स्थिर करने के बजाय सीरिया में अपनी स्थिति मजबूत करने की दिशा में हो सकता है.

इजराइल की सैन्य रणनीति

उधर, इजरायल ने सीरिया में असद शासन के पतन के बाद, जब असद की सेनाएं उस इलाके से पीछे हट गईं, तो एक बफर जोन में सैनिकों को तैनात किया था. इजराइल का कहना है कि यह कदम अस्थायी है और इसका उद्देश्य तब तक स्थिति की निगरानी करना है जब तक सीरिया में सुरक्षा पूर्ण रूप से बहाल नहीं हो जाती और कोई खतरा नहीं होता. हालांकि, पुतिन ने इस कदम को संदिग्ध बताते हुए कहा कि इजरायल की असल मंशा अपनी सैन्य उपस्थिति को सीरिया में बनाए रखने की हो सकती है.

बेंजामिन नेतन्याहू ने गोलान हाइट्स को लेकर पेश की थी नई योजना

पिछले दिनों इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सीरिया में इसरायली कब्ज़े वाले गोलान हाइट्स इलाक़े के लिए एक नई योजना का एलान किया है. उन्होंने कहा है कि इस नई योजना के तहत गोलान हाइट्स की इसरायलियों की आबादी को दोगुना किया जाएगा.इसरायल ने साल 1967 में गोलान हाइट्स पर अपना कब्ज़ा जमाया था. नेतन्याहू के मुताबिक़, उन्होंने यह फ़ैसला सीरिया में हालात को देखते हुए लिया है. बता दें कि, गोलान हाइट्स दक्षिण-पश्चिम सीरिया में एक चट्टानी पठार है. नेतन्याहू ने कहा है कि इसरायल इस क्षेत्र पर अपने प्रभाव को बढ़ाएगा और इसे बसाकर समृद्ध बनाएगा.

गोलान हाइट्स इलाक़े में फिलहाल 30 से ज़्यादा इसरायली बस्तियां मौजूद हैं.जहां लगभग 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों की आबादी है.इसरायल ने 1981 में गोलान हाइट्स पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है.