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'भारत, चीन और ब्राजील करवा सकते हैं रूस और यूक्रेन की बात...', व्लादिमीर पुतिन ने जताई उम्मीद

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर खुद व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता के लिए भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश मध्यस्थता कर सकते हैं. बता दें कि पिछले कुछ महीनों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले रूस और फिर यूक्रेन का दौरा भी किया है और दोनों देशों से अपील की है कि वे युद्ध खत्म कर दें.

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Edited By: India Daily Live
Narendra Modi Vladimir Putin
Courtesy: PTI (File Photo)

लंबे समय से जारी रूस और यूक्रेन युद्ध के बारे में अब यही कहा जा रहा है कि इसे बातचीत के जरिए ही रोका जा सकता है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ-साथ अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी बातचीत की बात कहने लगे हैं. अब उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत, चीन और ब्राजील जैसे देश रूस और यूक्रेन के बीच बातचीत कराने के लिए मध्यस्थता कर सकते हैं. इससे पहले, भारत ने बार-बार कहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है और इन दोनों देशों को भी आपस में बातचीत करके युद्ध खत्म करना चाहिए.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, व्लादिमीर पुतिन ने कहा है, 'युद्ध के पहले ही हफ्ते में जब इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के नेगोशिएटर्स के बीच बातचीत हुई थी तो एक शुरुआती समझौता हो गया था लेकिन यह कभी लागू नहीं हुआ था. यह समझौता बातचीत के लिए एक आधार हो सकता है. इसके लिए भारत, चीन और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं.'

हमेशा से तैयार है भारत!

बता दें कि युद्ध की शुरुआत से ही भारत ने कहा है कि वह शांति चाहता है. पिछले महीने पोलैंड गए पीएम मोदी ने 22 अगस्त को कहा था, 'यूक्रेन और पश्चिमी एशिया में जारी टकराव हम सबके लिए चिंता का विषय है. भारत का मानना है कि किसी भी समस्या का हल युद्ध के मैदान में नहीं निकाला जा सकता है. इन युद्धों में निर्दोष लोगों की जान जाना मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती है. हम बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने और स्थिरता लाने के पक्षधर हैं. भारत अपने दोस्त देशों के जरिए पूरा सहयोग करने के लिए तैयार है.'

पुतिन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'हम अपने दोस्तों और सहयोगियों का सम्मान करते हैं जो इस टकराव से जुड़ी सभी समस्याओं का हल निकालने में मदद करने के इच्छुक हैं. इसमें भारत, चीन और ब्राजील शामिल हैं. मैं इन सबके और अपने सहयोगियों के संपर्क में हूं और मुझे कोई शक नहीं है कि इन देशों के नेता मेरा साथ नहीं देंगे. इन नेताओं के साथ हमारा भरोसे का रिश्ता है और हम इस जटिल समस्या को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे.'