शपथ ग्रहण से पहले छात्रों के लिए डोनाल्ड ट्रंप का ये डिसीजन, भारत के लिए बन गया सिरदर्द!
डोनाल्ड ट्रंप जनवरी में राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेंगे लेकिन इस बीच अमेरिका में अध्ययन और काम करने वाले भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों ने विदेशी छात्रों से कहा है कि वे ट्रंप के पद संभालने से पहले ही अपनी छुट्टियां समाप्त कर के कैंपस में वापस लौट आएं.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने की तैयारियां चल रही हैं. ट्रंप जनवरी में राष्ट्रपति पद के लिए शपथ लेंगे लेकिन इस बीच अमेरिका में अध्ययन और काम करने वाले भारतीय छात्रों और पेशेवरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों ने विदेशी छात्रों से कहा है कि वे ट्रंप के पद संभालने से पहले ही अपनी छुट्टियां समाप्त कर के कैंपस में वापस लौट आएं. विदेशी छात्रों और कर्मचारियों से कहा जा रहा है कि वे किसी संभावित समस्या से बचने के लिए जल्दी कैंपस लौटने की योजना बनाएं.
20 जनवरी को शपथ लेने वाले राष्ट्रपति-चुनाव ट्रंप ने अपने पदभार ग्रहण करने के पहले दिन ही व्यापक कार्यकारी आदेशों को लागू करने की योजना की घोषणा की है, जो आव्रजन और आर्थिक नीतियों को टारगेट करता है. ऐसे में 2017 में उनके पहले कार्यकाल के दौरान हुई अव्यवस्थाओं के समान चिंताओं को फिर से जगा दिया है, जब सात मुस्लिम देशों के नागरिकों पर तत्काल यात्रा प्रतिबंध लगा दिया गया था. दरअसल मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट ने एक विस्तृत परामर्श जारी कर अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और कर्मचारियों से 20 जनवरी से पहले लौटने पर विचार करने का आग्रह किया है.
विश्वविद्यालयों ने विदेशी छात्रों से लौटने का आग्रह
विश्वविद्यालय ने बयान जारी करते हुए कहा, 'चूंकि नया राष्ट्रपति प्रशासन अपने कार्यकाल के पहले दिन ही नीतियां लागू कर सकता है, और 2017 में यात्रा प्रतिबंधों के पिछले अनुभव को देखते हुए, यह सलाह बहुत ही सावधानी के साथ दी गई है.' वेस्लेयन यूनिवर्सिटी के कॉलेज अख़बार, वेस्लेयन आर्गस ने बताया कि यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय छात्र मामलों के कार्यालय (OISA) ने अपने छात्रों को इसी तरह के दिशा-निर्देश जारी किए हैं. एक ईमेल में कार्यालय ने लिखा, 'देश में फिर से प्रवेश करने में मुश्किल से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका 19 जनवरी और उसके बाद के दिनों में अमेरिका में शारीरिक रूप से मौजूद रहना है.'
यात्रा योजनाओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के एसोसिएट डीन डेविड एल्वेल ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को चेतावनी दी कि वे यात्रा योजनाओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें, क्योंकि नीतियों में बदलाव की अनिश्चितता है. उन्होंने वीजा प्रक्रिया में संभावित देरी और नई नीतियों के लागू होने पर अमेरिका से बाहर रहने के जोखिमों के बारे में भी चेतावनी दी. उन्होंने हाल ही में एक पोस्ट में लिखा, 'प्रत्येक चुनाव के साथ नीतियों, विनियमों और विधानों में परिवर्तन हो सकते हैं, जिनका प्रभाव उच्च शिक्षा के साथ-साथ आव्रजन और वीज़ा स्थिति के मामलों पर भी पड़ता है.'
भारतीय छात्रों की बढ़ेगी टेंशन
बता दें कि इस तरह की चेतावनियां खास तौर पर भारतीय छात्रों को प्रभावित कर सकती है. क्योंकि साल 2017 में जब ट्रंप की ओर से कार्यकारी आदेश जारी हुआ तो एक विरोध प्रदर्शनों को जन्म हुआ. जिससे हजारों की संख्या में छात्र और नौकरी पेशे वाले आदमी प्रभावित हुए थे.
अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम
वहीं खबरों की माने तो विश्वविद्यालय अपने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं. येल विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय छात्र और विद्वानों के कार्यालय ने इस महीने की शुरुआत में एक वेबिनार आयोजित किया, ताकि संभावित आव्रजन नीति परिवर्तनों को लेकर छात्रों की चिंताओं को दूर किया जा सके. अन्य संस्थान भी ट्रम्प प्रशासन द्वारा लागू की जाने वाली किसी भी कठोर नीति का विरोध करने की तैयारी कर रहे हैं.
भारत के विदेश मंत्रालय ने फिलहाल नहीं दी है कोई सलाह
भारत के विदेश मंत्रालय ने अभी तक कोई औपचारिक सलाह नहीं दी है लेकिन स्थिति को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी यात्रा के लिए भारतीय नागरिकों से अद्यतन जानकारी रखने का आग्रह किया है. अमेरिका उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बना हुआ है. भारत ने 2023/2024 में चीन को पीछे छोड़कर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रमुख मूल स्थान बन गया है. ओपन सोर्स 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 331,602 भारतीय छात्रों ने अमेरिकी संस्थानों में दाखिला लिया, जो पिछले साल की तुलना में 23 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि को दर्शाता है. अब यह जनसांख्यिकी अमेरिकी शैक्षणिक सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है.