अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूत जनरल कीथ केलॉग ने यूक्रेन में शांति स्थापना के लिए एक ऐसा प्रस्ताव दिया है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद का विषय बन गया है. उन्होंने सुझाव दिया है कि यूक्रेन को "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बर्लिन" की तरह विभाजित किया जा सकता है, जिसमें यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से में ब्रिटेन और फ्रांस की अगुवाई में नियंत्रण क्षेत्र बनाए जाएं. जनरल कीथ केलॉग ने प्रस्ताव दिया कि ब्रिटेन और फ्रांस पश्चिमी यूक्रेन में नियंत्रण क्षेत्रों का नेतृत्व कर सकते हैं , साथ ही रूसी आक्रमण को रोकने के लिए "आश्वासन बल" के रूप में काम कर सकते हैं.
डेनिप्रो नदी बन सकती है नया सीमांकन रेखा
केलॉग के अनुसार, पश्चिमी यूक्रेन में तैनात यूके-फ्रांस की "रिअशोरेंस फोर्स" रूसी आक्रामकता को रोकने का काम करेगी. वहीं, यूक्रेन की सेना और रूस के बीच लगभग 18 मील चौड़ा एक डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन (DMZ) स्थापित किया जाएगा, जिसे निगरानी में रखना अपेक्षाकृत आसान होगा. 80 वर्षीय केलॉग ने कहा, "डेनिप्रो नदी के पश्चिम में यूके-फ्रांस बल की मौजूदगी पुतिन शासन के लिए उकसाने वाली नहीं होगी. उन्होंने यह भी साफ किया कि अमेरिका इस क्षेत्र में जमीनी सेना नहीं भेजेगा.
यूक्रेन की संप्रभुता के समर्थन की बात
हालांकि, अपने बयान को लेकर उठे विवाद के बाद केलॉग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर साफ किया कि "यह यूक्रेन की संप्रभुता के समर्थन में प्रस्तावित योजना है, न कि किसी प्रकार के विभाजन की योजना है."
नाटो बलों की तैनाती पर रूस की आपत्ति
इस बीच रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पहले ही साफ कर चुके हैं कि क्रेमलिन किसी भी स्थिति में नाटो देशों के शांति बलों को स्वीकार नहीं करेगा. ऐसे में इस योजना की स्वीकार्यता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
ट्रंप का बयान: “यह युद्ध कभी होना ही नहीं चाहिए था”
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्रुथ पर पुतिन की आलोचना करते हुए लिखा, "रूस को अब आगे बढ़ना चाहिए. हज़ारों लोग हर हफ्ते मर रहे हैं . यह एक भयानक और बेमतलब युद्ध है जो मेरे राष्ट्रपति रहते कभी नहीं होता!". इसी बीच रूस ने शुक्रवार रात यूक्रेन पर ड्रोन से हमला किया, जिसमें चार लोग घायल हुए. वहीं, ज़ेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस के लिए लड़ रहे “सैकड़ों चीनी सैनिक” पकड़े गए हैं.