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India Daily

Trump Policy: US ने भारत को बताया सबसे भरोसेमंद 'ट्रेड पार्टनर', बयान में दरकिनार किए जाने से चीन को लगा बड़ा झटका

US-India Trade: अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने बुधवार, 9 अप्रैल को व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि भारत टैरिफ पर चर्चा के लिए सबसे सक्रिय देश है.

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Edited By: Ritu Sharma
US-India Trade
Courtesy: Social Media

US-India Trade: चीन के खिलाफ 125% टैरिफ लगाने के अमेरिका के ऐलान के बाद वैश्विक व्यापार में हलचल मच गई है. इस बीच अमेरिका ने साफ किया है कि भारत उन गिने-चुने देशों में है जो टैरिफ और व्यापार समझौतों पर गंभीरता से चर्चा करने को तैयार हैं.

भारत सबसे आगे - अमेरिकी वित्त मंत्री का बयान

बता दें कि व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, ''भारत एक ऐसा देश है, जो हमारे साथ टैरिफ पर बात करने के लिए सबसे आगे है.'' उन्होंने यह भी जोड़ा कि चीन के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई इसलिए जरूरी हो गई थी क्योंकि वह ग्लोबल ट्रेड नियमों का बार-बार उल्लंघन कर रहा है.

चीन के खिलाफ कड़ा एक्शन, बाकी देशों के लिए राहत

वहीं अमेरिका ने चीन से आने वाले सामान पर 125% टैरिफ थोप दिया है, जबकि 75 अन्य देशों पर लगे टैरिफ को 90 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा, ''ये सभी देश हमारे साथ ट्रेड टॉक को तैयार हैं.''

जापान, दक्षिण कोरिया के साथ भी बातचीत जारी

बताते चले कि बेसेन्ट ने बताया कि अमेरिका की मुख्य बातचीत इस समय भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ चल रही है. इन देशों के प्रस्तावों के आधार पर टैरिफ में 10% तक की रियायत दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ''जो देश ट्रेड पर खुलकर बात करना चाहते हैं, हम उन्हें इनाम देने के लिए तैयार हैं.''

व्हाइट हाउस का आत्मविश्वास आगे 

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा, ''दुनिया अब चीन की नहीं, अमेरिका की तरफ देख रही है. उन्हें हमारे बाजार की जरूरत है.'' उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया ने ट्रंप की 'The Art of the Deal' नीति को नजरअंदाज किया, लेकिन अब दुनिया अमेरिका को प्राथमिकता दे रही है.

हालांकि, अमेरिका के फैसले के बाद चीन ने भी पलटवार करते हुए पहले से लगे 34% टैरिफ को बढ़ाकर 84% कर दिया. इसके जवाब में अमेरिका ने 125% टैरिफ लागू कर दिया. जानकारों का मानना है कि यह अमेरिका की 'America First' नीति का अगला कदम है और इससे वैश्विक व्यापार में नई दिशा तय हो सकती है.