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India Daily

मुसलमान-मुसलमान चिल्ला रहा पाकिस्तान, अमेरिका ने चलाया ऐसा 'चाबुक', इस्लामिक देश की फूलने लगी सांस

अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान पर लगाए प्रतिबंधों के बाद पाकिस्तान बौखला गया है. पाकिस्तान के जानकार अब मुसलमान वाली राग अलापने लगे हैं. पाकिस्तान ने कहा कि अमेरिका को लगता है कि मुस्लिम देशों के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए.  

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
Shahbaz Sharif
Courtesy: X

BAN ON PAKISTAN: पाकिस्तान इन दिनों अमेरिकी प्रतिबंधों से खासा परेशान है, जो खासतौर पर उसके मिसाइल कार्यक्रमों पर लागू किए गए हैं. अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम की देखरेख करने वाली संस्था को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा घोषित कर दिया. इस कदम के बाद पाकिस्तान ने अमेरिकी अधिकारियों के बयानों का गहराई से विश्लेषण शुरू कर दिया है और इसके संभावित प्रभावों को लेकर चिंतित है.

अमेरिका के राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार, जॉन फाइनर ने कहा कि पाकिस्तान की मिसाइल क्षमताएं एक "उभरता हुआ खतरा" बन चुकी हैं, जो अमेरिका पर केंद्रित हैं. पाकिस्तान का मानना है कि यह कदम भारत और इजरायल के पक्ष में उसकी सैन्य शक्ति को कम करने के लिए उठाया गया है. पाकिस्तान का दावा है कि उसकी शाहीन-3 मिसाइल भारत और इजरायल तक पहुंच सकती है, जो इन देशों के लिए खतरे का कारण बन सकती है.

पाकिस्तानी विशेषज्ञ अलाप रहे 'मुसलमान राग'

पाकिस्तान के राजनीतिक विशेषज्ञों ने इस प्रतिबंध के लिए अमेरिका पर तीखा हमला किया है. वरिष्ठ राजनीतिक टिप्पणीकार नुसरत जावेद ने आरोप लगाया कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को यह लगता है कि मुस्लिम देशों के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए. अन्य विश्लेषकों ने इस प्रतिबंध और इजरायल के हालिया सैन्य हमलों के बीच समानताएं दिखाते हुए भविष्य में पाकिस्तान के खिलाफ इजरायल और भारत द्वारा संयुक्त हमले की संभावना जताई.

क्या यह कदम पाकिस्तान के खिलाफ सही है?

अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ क्रिस्टीन फेयर ने कहा कि पाकिस्तान पर सीधे सैन्य हमला संभव नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति है और उस पर हमला करने के परिणाम गंभीर हो सकते हैं. उनका यह भी कहना था कि इजरायल ने केवल ईरान पर हमला किया है, क्योंकि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं हैं. इसके विपरीत, पाकिस्तान एक घोषित परमाणु शक्ति है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए इसकी सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना एक बड़ी चुनौती है.