हाल के हफ्तों में 1,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा या कानूनी दर्जा रद्द होने से अमेरिका में हड़कंप मच गया है. कई छात्रों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि सरकार ने बिना उचित प्रक्रिया के उनकी अमेरिका में रहने की अनुमति छीन ली. इस कार्रवाई ने सैकड़ों छात्रों को हिरासत और निर्वासन के खतरे में डाल दिया है. प्रभावित छात्र हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड जैसे निजी विश्वविद्यालयों से लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड, ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी और छोटे लिबरल आर्ट्स कॉलेजों तक के हैं.
वीजा रद्द होने का कारण क्या?
मिशिगन के ACLU वकीलों ने वेन स्टेट यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के छात्रों की ओर से मुकदमे में कहा, "इन रद्दीकरणों का समय और एकरूपता यह स्पष्ट करती है कि DHS ने छात्रों के कानूनी दर्जे को बड़े पैमाने पर समाप्त करने की नीति अपनाई है."
छात्रों का कानूनी संघर्ष
छात्रों ने होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के खिलाफ मुकदमे दायर किए हैं, जिसमें तर्क दिया गया कि वीजा रद्द करने का कोई ठोस आधार नहीं था. न्यू हैम्पशायर में, एक संघीय जज ने डार्टमाउथ कॉलेज के चीनी छात्र शियाओतियान लियू के मामले में रोक का आदेश जारी किया, जिनका दर्जा रद्द किया गया था. जॉर्जिया और कैलिफोर्निया में भी इसी तरह की कानूनी चुनौतियां दी गई हैं.
प्रशासन का रुख और आलोचना
होमलैंड सिक्योरिटी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है. कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में, जैसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी के कार्यकर्ता महमूद खलील की हिरासत, ट्रंप प्रशासन ने फिलिस्तीन समर्थक गतिविधियों के आधार पर निर्वासन की वकालत की. हालांकि, कॉलेजों का कहना है कि अधिकांश वीजा रद्दीकरण में विरोध प्रदर्शनों से कोई संबंध नहीं है. माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की मिशेल मिटेलस्टेड ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ हो रहा यह सब ट्रंप प्रशासन द्वारा आप्रवासियों पर बढ़ती सख्ती का हिस्सा है."
छात्रों में डर का माहौल
अमेरिकन काउंसिल ऑन एडुकेशन की सारा स्प्रिट्जर ने कहा, "वीजा रद्दीकरण की अस्पष्टता छात्रों में डर पैदा कर रही है." कुछ छात्र गिरफ्तारी के डर से पढ़ाई छोड़कर देश छोड़ चुके हैं. कॉलेज प्रशासकों का मानना है कि यह स्थिति विदेशी छात्रों को अमेरिका में उच्च शिक्षा से हतोत्साहित कर सकती है.