UN News: संयुक्त राष्ट्र संघ ने मध्य अमेरिकी देश निकारगुआ को गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर दोषी ठहराया है. राजनैतिक असहमति और सरकार के विरोध को लेकर राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा ने 2018 में व्यापक विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए प्रशासनिक एजेंसियों का गलत इस्तेमाल किया था. प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए हिंसक तरीकों का इस्तेमाल किया था.
यूएन के स्वतंत्र समूह की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल यह दमन समाज के एक बड़े वर्ग तक पहुंच गया. यह समूह साल 2022 से निकारगुआ के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक पहलुओं की जांच कर रहा था. यूएन के जांच दल का नेतृत्व कर रहे जेन सिमोन ने कहा कि निकारगुआ की जनता लंबे समय से हिंसा और राजनैतिक दमन का शिकार रही है. विपक्षी नेताओं को जबरन जेल भेजा गया है या उन्हें नजरबंद की सजा सुनाई गई है. सरकार ने विपक्ष पर की गई कार्रवाई के मसले पर चुप्पी साध रखी है.
रिपोर्ट के अनुसार, ओर्टेगा सरकार ने साल 2018 में होने वाले व्यापक जनविद्रोह को अमेरिकी समर्थित करार दिया है. निकारगुआ के मुताबिक, वह विद्रोह वर्तमान सरकार का तख्तापलट करने का छद्म प्रयास था जिसे सरकार ने विफल कर दिया था. जनविद्रोह को दबाने के लिए ओर्टेगा सरकार ने आम नागरिकों, स्टूडेंट्स को निशाना बनाया. इसमें अश्वेत नागरिकों और कैथोलिक चर्च से जुड़े लोगों को भी दमन का सामना करना पड़ा क्योंकि ये वही लोग थे जिन्होंने सरकार के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई थी.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी कार्रवाई उन लोगों तक पहुंच गई है जिन्होंने दमन और हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी देशों अमेरिका और कोस्टारिका में शरण ले रखी है. सरकार अब उनकी नागरिकता छीन रही है उनके मौलिक अधिकारों को खत्म कर रही है. यूएन ने अपनी रिपोर्ट में दुनियाभर के देशों से निकारगुआ पर नए प्रतिबंधों को लगाने की बात कही है. इसके अलावा निकारगुआ सरकार से तानाशाही रवैये के परिणामस्वरूप कैद किए गए राजनैतिक कैदियों को रिहा करने की भी मांग की है.