UN ने यूक्रेन के प्रस्ताव को दी मंजूरी, रूस से तुरंत सेना हटाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया, जिसमें रूस से अनुरोध किया गया है कि वह यूक्रेन के क्षेत्रों से तुरंत अपनी सेनाओं को वापस बुलाए, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और शांति की बहाली की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके.

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Russia-Ukraine war: रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे हो चुके हैं और इसी बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है. इस प्रस्ताव में रूस से यूक्रेन से अपनी सेना तत्काल वापस बुलाने की मांग की गई है. हालांकि, यह प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय जनमत का संकेतक माना जा रहा है.

यूक्रेन के प्रस्ताव को मिली संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार को यूक्रेन की ओर से एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि रूस को बिना शर्त अपनी सेना यूक्रेन से वापस बुलानी चाहिए. एपी समाचार एजेंसी के अनुसार, महासभा के 193 सदस्य देशों में से 93 ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया, जबकि 18 देशों ने इसके खिलाफ वोट दिया.

वहीं महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत समेत 65 देशों ने इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया. पहले भी संयुक्त राष्ट्र में रूस की आक्रामकता की निंदा करते हुए कई प्रस्ताव पास हो चुके हैं, जिनमें 140 से अधिक देशों ने रूसी कब्जे को हटाने की मांग की थी.

बाध्यकारी नहीं, लेकिन अहम है यह प्रस्ताव

बताते चले कि संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित किए गए प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते हैं, यानी इनका पालन करना अनिवार्य नहीं है. लेकिन इस तरह के प्रस्ताव वैश्विक समुदाय के विचारों को दर्शाते हैं और कूटनीतिक दबाव बनाने का काम करते हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष को जल्द खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस युद्ध को समाप्त करने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

भारत ने मतदान से बनाई दूरी

इस अहम प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत तटस्थ बना रहा और वोटिंग से अनुपस्थित रहा. भारत पहले भी रूस-यूक्रेन युद्ध से संबंधित प्रस्तावों पर मतदान से दूरी बनाता रहा है. बता दें कि भारत के अलावा चीन, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और कई अन्य देशों ने भी वोटिंग में भाग नहीं लिया. हालांकि, यूरोपीय संघ और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया.

जेलेंस्की ने पद छोड़ने की रखी शर्त

इसके अलावा, रूसी आक्रमण के तीन साल पूरे होने पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन को स्थायी शांति की गारंटी मिलती है या फिर उसे नाटो (NATO) की सदस्यता दी जाती है, तो वह राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा, ''अगर मेरे देश को स्थायी शांति और सुरक्षा प्राप्त होती है, तो मैं राष्ट्रपति का पद छोड़ने को तैयार हूं.''

बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पारित इस प्रस्ताव से रूस पर कूटनीतिक दबाव बढ़ सकता है. हालांकि, रूस के लिए यह एक बड़ा झटका है, लेकिन वह अब तक यूक्रेन से अपनी सेना हटाने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है. दूसरी ओर, यूक्रेन इस समर्थन को अपनी कूटनीतिक जीत के रूप में देख रहा है. आने वाले दिनों में इस प्रस्ताव के प्रभाव और रूस की प्रतिक्रिया पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रहेंगी.