कल यानी 21 जून को पूरी दुनिया ने विश्व योग दिवस में हिस्सा लिया. वहीं रूस और यूक्रेन की जंग में सीमा पर तैनात यूक्रेन के सैनिक भी योग का सहारा ले रहे हैं. 2 साल से ज्यादा समय से चल रहे इस युद्ध में सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए योग वरदान साबित हो रहा है. सैनिकों का कहना है कि इससे उन्हें जल्दी रिकवरी मिल रही है
यूक्रेनी सैनिक युद्ध के बीच योगा करके खुद को फिट रखने कोशिश कर रहे 225 वीं सेपरेट असॉल्ट बिग्रेड के कमांड ने पोस्ट कर लिखा, 'योग ने उनके जीवन को बदल दिया है. बड़े पैमाने पर युद्ध की शुरूआत से पहले 2014 में मुझे पैदल सेना के अभियानों में शामिल किया गया था और मेरी रीढ़ की हड्डी में चोट लगी थी. इसके बाद मैं रोजाना योगा करता हूं'.
युवा कमांडर ने कहा, 'मेरी सारी समस्याएं गायब हो गई है. योग अब युद्ध में अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने में मदद करता है. मैं हमेशा आसन, नौली और प्राणायम करने की कोशिश करता हूं. इससे मुझे अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण रखने और अपने कर्तव्य को पूरा करने, योजना बनाने में मदद मिलती है'.
युद्ध प्रभावित यूक्रेन में, योग स्वास्थ्य रिकवरी और अपचार के लिए बहुता ही अहम भूमिका निभा रहा है. फाल्कर फोर्स जैसी यूक्रेनी सेना की कुछ विशेष बल इकाइयां भी योग को अपने प्ररिक्षण में शामिल कर रही है.
2021 में शुरू हुए यूक्रेनी वोलोदिमिर जेलेंस्की की पहल 'स्वस्थ यूक्रेन' कार्यक्रम ने योग को बढ़ावा दिया है. जिसके लिए एक्टिव पार्क्स ने सार्वजनिक पार्कों को सप्ताहांत फिटनेस क्लबों में बदल दिया है. जिसमें प्रशिक्षक मुफ्त क्लास करवाई जाती है. यहां योग कराने वाले के लिए ऐलना साइडर्सका को यह जिम्मेदारी दी गई है. साइडर्सका कहती हैं, 'योग की फीडबैक जबरदस्त है, एक्टिव पार्क्स अब स्टूडियो और क्लबों का सपोर्ट करता है'.
साइडर्सका के पिता एंड्री साइडर्सकाई कहते हैं कि उनके देश में भारत के योग अभ्यास की जड़े काफी पुरानी है, यूक्रेन में लोग 19 वीं सदी में ही योग के संपर्क में आए थे. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कीव, ओडेसा और खार्किल सोवियत काल में योग के कुछ मुख्य केंद्र बन गए. आज योग दुनिया भर में फैला हुआ है और अब फिर यूक्रेन में आ गया. युद्ध के दौरान घायल और बिमार सैनिकों को योग के जरिए ही ठीक किया जाता है.