लंदन के हाई कोर्ट ने मंगलवार को संजय भंडारी से जुड़े भारत सरकार के एक अपील को खारिज कर दिया है. कथित टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए दिल्ली में वांछित रक्षा क्षेत्र के सलाहकार संजय भंडारी को बरी किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति मांगी थी. उस अपील को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया.
लॉर्ड जस्टिस टिमोथी होलोयड ने पिछले महीने भारत सरकार द्वारा दायर आवेदन के जवाब में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में एक संक्षिप्त सुनवाई में यह फैसला सुनाया. यह फैसला होलोयडे और न्यायमूर्ति कैरेन स्टेन के 28 फरवरी के उच्च न्यायालय के फैसले के बाद आया है, जिसमें 62 वर्षीय व्यवसायी की मानवाधिकार के आधार पर प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली गई थी.
न्यायमूर्ति होलोराइड ने कहा कि न्यायालय को भारत सरकार की ओर से एक आवेदन प्राप्त हुआ है, जिसमें सामान्य महत्व के कानूनी बिंदुओं के प्रमाणीकरण तथा सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी गई है.
लिखित प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, न्यायालय इस बात से संतुष्ट है कि मौखिक सुनवाई की आवश्यकता नहीं है और आगे कोई प्रस्तुतियां देने की आवश्यकता नहीं है. जिन दो बिंदुओं पर अपील की अनुमति मांगी गई थी, उन्हें अस्वीकार कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि इसका कारण यह है कि सामान्य महत्व के कानून के कोई भी बिंदु न्यायालय के निर्णय में शामिल नहीं थे.
पहला बिन्दु आरोपी व्यक्ति पर लगाए गए साक्ष्य के मानक से संबंधित था और दूसरा दिल्ली की तिहाड़ जेल की स्थितियों से जुड़ा था, जिसके बारे में भारत सरकार का कहना था कि आगे और आश्वासन देकर इसे ठीक किया जा सकता था. न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला कि इन दोनों में से कोई भी बिंदु सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विचार करने योग्य नहीं है.
प्रत्यर्पण मामले में प्रतिवादी के रूप में भारत सरकार ने दो-चरणीय प्रक्रिया में पहले चरण के रूप में आवेदन दायर किया था. लेकिन पहले चरण को अस्वीकार कर दिए जाने के बाद, मामले से परिचित सरकारी अधिकारियों को अभी यह पुष्टि करनी है कि क्या आगे की अपील की अनुमति के लिए आवेदन सीधे यूके सुप्रीम कोर्ट में भेजा जा सकता है.
हमारे निर्णय में, इस आधार पर उपलब्ध कराए गए सभी साक्ष्यों और सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए, जिसमें नए साक्ष्य भी शामिल हैं, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि तिहाड़ जेल में खतरा हो सकत है.
अपील इस आधार पर स्वीकार की गई कि भंडारी का प्रत्यर्पण, मुकदमे की प्रतीक्षा के दौरान तिहाड़ जेल में उसकी प्रस्तावित हिरासत के संबंध में यूरोपीय मानवाधिकार सम्मेलन (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के तहत उसके अधिकारों के खिलाफ होगा.
ईसीएचआर के अनुच्छेद 6 के तहत दूसरा आधार, जो आपराधिक मुकदमों में सबूत के बोझ और मानक को संदर्भित करता है, उसे निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार पर प्रदान किया गया.
पहला जून 2020 में भारत के धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के विपरीत धन शोधन के आरोप के संबंध में प्रमाणित किया गया था और दूसरा जून 2021 में भारत के काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिनियम 2015 के तहत लगाए जाने वाले कर, जुर्माना या ब्याज से जानबूझकर बचने का प्रयास करने के आरोप के संबंध में प्रमाणित किया गया था.
भंडारी, जो अपनी कंपनी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस के माध्यम से भारतीय सरकार के ठेकों के लिए बोली लगाने वाले रक्षा निर्माताओं को परामर्श सेवाएं प्रदान करते थे, जेन्स सॉलिसिटर्स के माध्यम से जिला न्यायाधीश माइकल स्नो के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील कर रहे थे. अन्य चार आधारों पर अपील को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा खारिज कर दिया गया था.