तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने पाकिस्तान दौरे के दौरान कश्मीर मसले पर भारत को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. 13 फरवरी, 2025 को उन्होंने कहा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के जरिए सुलझाया जाना चाहिए, जिसमें कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं का भी ध्यान रखा जाए. अर्दोआन का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात के बाद आया, जिसमें दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
कश्मीर मुद्दे पर तुर्की का रुख
भारत और तुर्की के रिश्ते
भारत ने हमेशा यह कहा है कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा हैं और हमेशा रहेंगे. विशेष रूप से 5 अगस्त 2019 को भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और जम्मू और कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद भारत और तुर्की के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. इस घटनाक्रम के बाद तुर्की ने भारत की नीतियों का विरोध किया और कश्मीर पर अपनी स्थिति स्पष्ट की.
तुर्की और पाकिस्तान के रिश्तों में मजबूती
तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने की बात की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने व्यापार, जल संसाधन, कृषि, ऊर्जा, संस्कृति, रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में 24 समझौतों और समझौतों पर हस्ताक्षर किए. यह सभी समझौते पाकिस्तान और तुर्की के रिश्तों को और मजबूत करेंगे और दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खोलेंगे.
अर्दोआन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ मिलकर इस द्विपक्षीय यात्रा को अहम बताया और दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने का संकल्प लिया.
पाकिस्तान के लिए तुर्की की अहमियत
तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा कि पाकिस्तान उनके लिए एक खास जगह रखता है और वह हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े रहे हैं. शहबाज शरीफ ने भी तुर्की के राष्ट्रपति को पाकिस्तान में स्वागत करते हुए कहा कि तुर्की उनके लिए दूसरा घर है और पाकिस्तान में तुर्की के योगदान को उन्होंने सराहा. उन्होंने तुर्की के साथ पिछले समय में आई प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और बाढ़ के दौरान मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया.
क्या अर्दोआन के बयान से भारत-तुर्की संबंधों में बदलाव होगा?
अर्दोआन का यह बयान भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है क्योंकि उन्होंने स्पष्ट रूप से कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ अपनी वचनबद्धता को दर्शाया. हालांकि, भारत और तुर्की के बीच अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग जारी है, लेकिन कश्मीर मुद्दे पर तुर्की का रुख हमेशा पाकिस्तान के पक्ष में रहा है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत और तुर्की के रिश्ते इस बयान के बाद और भी तनावपूर्ण हो सकते हैं या फिर दोनों देशों के बीच आर्थिक और सामरिक संबंधों में सुधार होगा.
हालांकि, भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस स्थिति को सावधानी से संभाले और अपने कूटनीतिक प्रयासों को लगातार बनाए रखे, ताकि तुर्की के साथ रिश्तों में संतुलन बना रहे.