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India Daily

बांगलादेश में हिंदू नेता का अपहरण, घर से खींचकर बेरहमी से पीटा गया, क्या है इस हत्या की सच्चाई?

भवेश चंद्र रॉय को अचेत अवस्था में घर भेज दिया गया। परिवार वाले उन्हें दिनाजपुर के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

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Edited By: Anvi Shukla
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Courtesy: social media

Bangladesh Violence: बांगलादेश के उत्तर में स्थित दिनाजपुर जिले से एक प्रमुख हिंदू समुदाय के नेता के अपहरण और हत्या की खबर सामने आई है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना 58 वर्षीय भद्रेश चंद्र रॉय के साथ हुई, जिनका शव 16 अक्टूबर की रात को बरामद किया गया. 

भद्रेश चंद्र रॉय, जो दिनाजपुर जिले के बसुदेवपुर गांव के निवासी थे, बांगलादेश पूजा उत्सव परिषद के बिराल शाखा के उपाध्यक्ष थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, रॉय को शाम करीब 4:30 बजे एक फोन कॉल प्राप्त हुआ था, जिसमें किडनैपर्स ने उनके घर पर होने की पुष्टि की. इसके करीब 30 मिनट बाद, चार लोग दो मोटरसाइकिलों पर सवार होकर रॉय के घर पहुंचे और उन्हें जबरन अपहृत कर लिया. रॉय को नाराबरी गांव में ले जाकर बेरहमी से पीटा गया. जब उन्हें घर वापस भेजा गया, तो वह बेहोश थे. परिवार ने उन्हें त्वरित चिकित्सा सहायता के लिए दिनाजपुर के अस्पताल में ले जाया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. 

बांगलादेशी अधिकारियों की प्रतिक्रिया

बांगलादेश पुलिस के अनुसार, बिराल पुलिस थाने के अधिकारी अब्दुस सबूर ने कहा कि इस घटना के संदर्भ में केस दर्ज करने की तैयारी चल रही है और पुलिस अपहरणकर्ताओं की पहचान और गिरफ्तारी के लिए काम कर रही है. हालांकि, अब तक आरोपियों का पता नहीं चल पाया है.

रॉय, जो एक प्रमुख हिंदू नेता थे, अपनी मौत के बाद क्षेत्र में हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति माने जा रहे हैं. उनका योगदान न केवल धार्मिक मामलों में था, बल्कि उन्होंने समाज के विभिन्न पहलुओं में भी सक्रिय रूप से भाग लिया था. 

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद, भारत ने बांगलादेशी अधिकारियों द्वारा पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा को लेकर की गई टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैस्वाल ने कहा, 'हम बांगलादेश की ओर से पश्चिम बंगाल में हुई घटनाओं पर की गई टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं.

यह एक छिपा हुआ प्रयास है, जो बांगलादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न पर ध्यान न देने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई न करने से ध्यान भटकाने का है.' उन्होंने कहा, 'बांगलादेश में अपराधियों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जा रही है, जबकि भारत ने हमेशा अपनी भूमि पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की है.'