ट्रंप के टैरिफ से हो जाएगा दुनिया के व्यापार का बंटाधार, विश्व व्यापार संगठन ने ट्रंप एंड कंपनी के एक्शन पर जारी की चेतावनी
WTO ने हाल ही में अपनी "ग्लोबल ट्रेड आउटलुक" रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक व्यापार को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है. संगठन के अनुसार, अमेरिका द्वारा आयात पर लगाए गए नए टैरिफ से वैश्विक व्यापार को भारी नुकसान हो सकता है.

World Trade Organization: विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने हाल ही में अपनी "ग्लोबल ट्रेड आउटलुक" रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक व्यापार को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है. संगठन के अनुसार, अमेरिका द्वारा आयात पर लगाए गए नए टैरिफ से वैश्विक व्यापार को भारी नुकसान हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर ये टैरिफ लागू रहते हैं, तो वर्ष 2025 में विश्व व्यापार की मात्रा में 0.2% की गिरावट आ सकती है, जबकि पहले 2.7% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था.
WTO ने आगाह किया है कि अगर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले से घोषित ‘रिसिप्रोकल टैरिफ’ पर लगी रोक को हटा दिया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं. ऐसी स्थिति में वर्ष 2025 में विश्व व्यापार में 1.5% की गिरावट देखी जा सकती है. संगठन का मानना है कि इस तरह के कदम वैश्विक व्यापार नीतियों में अनिश्चितता को बढ़ाएंगे और निवेशकों के विश्वास को कमजोर करेंगे.
उत्तर अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर अमेरिका इन टैरिफ्स से सबसे ज्यादा प्रभावित होगा. हालांकि, एशिया और यूरोप में व्यापार वृद्धि में थोड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, लेकिन इसका असर सीमित रहेगा. इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार में जारी तनाव के चलते तीसरे देशों के बाजारों में प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ सकती है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी होगी धीमी
WTO ने यह भी कहा है कि व्यापार में आई इस गिरावट का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. वर्ष 2025 में दुनिया की जीडीपी (GDP) 2.8% के बजाय केवल 2.2% बढ़ेगी, यानी 0.6 प्रतिशत अंक की गिरावट दर्ज की जा सकती है. इस तरह से यह व्यापार संकट पूरी दुनिया की आर्थिक प्रगति को धीमा कर सकता है.
पहली बार व्यापार वृद्धि धीमी होगी
2024 में पहली बार ऐसा हुआ था जब वैश्विक व्यापार (2.9%) की वृद्धि दर, वैश्विक GDP (2.8%) से अधिक थी. लेकिन WTO के अनुसार, 2025 में यह तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी. अब व्यापार में 0.2% की गिरावट होगी और दुनिया की आर्थिक वृद्धि दर भी 2.2% तक सिमट सकती है.