Trump-Modi Meeting: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आगामी मुलाकात भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. जब दोनों नेता गुरुवार को मिलेंगे, तो एक अच्छा माहौल होगा, लेकिन इस मुलाकात के दौरान कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे उठने की संभावना है जो दोनों देशों के बीच सामरिक, आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को आकार देंगे.
भारत-अमेरिका संबंधों का विकास
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच पिछले कुछ वर्षों में अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते बने हैं. उनकी पहली मुलाकात 2017 में वॉशिंगटन में हुई थी, और इसके बाद से दोनों के बीच कई उच्च-स्तरीय बैठकें हुई हैं. दोनों नेताओं की दोस्ती का प्रतीक ह्यूस्टन और अहमदाबाद में आयोजित रैलियां रही हैं, जहां वे एक साथ नजर आए. इस मुलाकात से पहले ही भारत ने कुछ कदम उठाए हैं जैसे अमेरिकी सामानों पर टैरिफ़ में कमी और बगैर वैध दस्तावेज के अमेरिका में रह रहे भारतीयों को वापस भेजने की प्रक्रिया.
क्या ट्रंप मांगेंगे और क्या मोदी दे पाएंगे?
यद्यपि भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हैं, ट्रंप इस मुलाकात के दौरान कुछ कड़े मांगों के साथ सामने आ सकते हैं. इनमें अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ़ में और कटौती, भारत से ज्यादा तेल खरीदने की मांग, और भारत में अमेरिकी कंपनियों के लिए अनुकूल नीतियाँ शामिल हो सकती हैं. ट्रंप ने पहले ही भारतीय व्यापार से जुड़े कई मसलों पर अपनी चिंता व्यक्त की है, जिसमें व्यापार घाटा शामिल है.
भारत और अमेरिका के बीच तेल खरीद पर बातचीत
भारत पहले ही अमेरिका से तेल खरीदने में रुचि दिखा चुका है, और यह संभावना है कि ट्रंप इस संबंध में और ज्यादा खरीदारी की बात करें. हालांकि, भारत रूस से सस्ता तेल भी ले रहा है, जिससे अमेरिका के साथ तेल व्यापार के मसले पर बातचीत हो सकती है. भारत ने पहले ही इस दिशा में संकेत दिए हैं, और यह देखना होगा कि क्या ट्रंप भारत को और अधिक तेल खरीदने के लिए प्रेरित करेंगे.
न्यूक्लियर ऊर्जा पर सहयोग
भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने की संभावना है. नरेंद्र मोदी चाहेंगे कि अमेरिका भारत के न्यूक्लियर ऊर्जा सेक्टर में निवेश करे. इसके लिए भारत अपने न्यूक्लियर लाइबिलिटी कानून में बदलाव कर रहा है. यदि इस क्षेत्र में निवेश बढ़ता है, तो यह भारत के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
टेक्नोलॉजी और एच-1बी वीज़ा पर वार्ता
तकनीकी क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं हैं. मोदी और ट्रंप के बीच इस पर बातचीत हो सकती है, विशेष रूप से आईसीईटी (Initiative on Critical and Emerging Technologies) पर. इसके तहत, दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की निगरानी में तकनीकी साझेदारी मजबूत हो सकती है. इसके अलावा, मोदी एच-1बी वीज़ा व्यवस्था को बनाए रखने की बात कर सकते हैं, जो भारत के उच्च तकनीकी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है.
ईरान और रूस-यूक्रेन संकट पर भारत की भूमिका
भारत और ईरान के रिश्ते भी इस मुलाकात में प्रमुख मुद्दा हो सकते हैं. ट्रंप के प्रशासन ने ईरान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं, और मोदी इस बातचीत में स्पष्ट करना चाहेंगे कि भारत के लिए ईरान के साथ संबंध महत्वपूर्ण हैं. इसके अलावा, रूस-यूक्रेन युद्ध और ग़ाज़ा संघर्ष पर भी चर्चा हो सकती है, जहां भारत अपनी मध्यस्थता की भूमिका निभाने की कोशिश कर सकता है.
क्वाड और क्षेत्रीय सहयोग
क्वाड (India, US, Japan, Australia) को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हो सकती है. ट्रंप क्वाड के मजबूत समर्थक रहे हैं, और मोदी इस समूह के जरिए क्षेत्रीय सुरक्षा और चीन की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए अमेरिका से सहयोग बढ़ाने की बात कर सकते हैं. इस पर चर्चा से दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी मजबूत हो सकती है.