TikTok Ban: विश्लेषकों का मानना है कि टिकटॉक पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध का असर जल्द ही सहयोगी देशों और अन्य स्थानों तक फैल सकता है, यदि ट्रम्प प्रशासन इस ऐप को ऑफलाइन रखने का निर्णय लेता है.
अमेरिकी कानून निर्माताओं ने टिकटॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. उनका दावा है कि इस ऐप की मालिक कंपनी बाइटडांस के चीनी सरकार से कथित संबंध हैं, हालांकि कंपनी ने इन आरोपों को खारिज किया है.
हालांकि, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया है कि वह इस प्रतिबंध के खिलाफ हैं और इसे पलटने का तरीका ढूंढ सकते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का तरीका वही हो सकता है, जैसा चीनी टेक कंपनी हुआवे और रूसी एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर कैसपर्सकी के साथ अपनाया गया था. साइबर पॉलिसी जर्नल की संपादक एमिली टेलर का कहना है, हुआवे और कैसपर्सकी के मामलों में जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया गया, वैसा ही टिकटॉक के साथ हो सकता है.
कैसपर्सकी के मामले में, 2017 में इसे अमेरिकी सिविल और सैन्य कंप्यूटरों से प्रतिबंधित कर दिया गया. कुछ ही समय में ब्रिटेन और अन्य सहयोगी देशों ने भी इसे प्रतिबंधित कर दिया. इस प्रतिबंध के चलते कैसपर्सकी ने अपने अमेरिकी और ब्रिटिश कार्यालय बंद कर दिए.
फाइव आईज गठबंधन (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के देशों ने टिकटॉक को सरकारी उपकरणों पर प्रतिबंधित कर दिया है. इन देशों के फैसलों का प्रभाव अन्य देशों पर भी पड़ा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन का रुख इस बार अलग हो सकता है. ट्रम्प ने टिकटॉक पर प्रतिबंध का समर्थन करने के बजाय इसे पलटने की बात कही है. उनके बदले रुख के पीछे चुनाव प्रचार में टिकटॉक का समर्थन मिलना एक बड़ा कारण हो सकता है.
ब्रिटेन के एक सरकारी प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि देश में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों के साथ डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा मानकों को लेकर संवाद करते हैं.'