Japan Barbaric Game: मछली पकड़ना प्रकृति का एक हिस्सा है, लेकिन जापान में डॉल्फिन का शिकार एक अलग कहानी है. ताईजी नामक एक तटीय शहर में, हर साल हजारों डॉल्फिन को निर्दयता से मार दिया जाता है या उन्हें समुद्री पार्कों में भेज दिया जाता है. यह क्रूर शिकार छह महीने तक चलता है, और इस दौरान समुद्र का पानी लाल रंग से रंग जाता है. हैरानी की बात यह है कि इस क्रूरता को रोका नहीं जा सकता क्योंकि जापानी सरकार ने इसे मंजूरी दे रखी है.
यह बर्बर परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसे "डॉल्फिन ड्राइव" के नाम से जाना जाता है. इस प्रक्रिया में, मछुआरे नावों का एक समूह बनाते हैं और डॉल्फिन के एक समूह (जिसे "पॉड" कहा जाता है) को घेर लेते हैं. फिर वे धातु की छड़ों और पत्थरों का उपयोग करके तेज आवाज पैदा करते हैं, जिससे डॉल्फिन घबरा जाती हैं और किनारे की ओर भागने लगती हैं.
जब डॉल्फिन थक जाती हैं और किनारे पर आ जाती हैं, तो मछुआरे उन पर भाले से वार करते हैं या उन्हें जाल में फंसा लेते हैं. कुछ डॉल्फिनों को जिंदा पकड़ लिया जाता है और उन्हें समुद्री पार्कों में बेच दिया जाता है, जहाँ वे मनोरंजन के लिए प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होती हैं.
यह शिकार न केवल अत्यंत क्रूर है, बल्कि यह डॉल्फिन की आबादी के लिए भी खतरा है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हर साल हजारों डॉल्फिन मारे जाते हैं, जिससे उनकी संख्या में तेजी से कमी आ रही है.
डॉल्फिन बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी हैं, और उनकी हत्या नैतिक रूप से गलत है. यह परंपरा न केवल क्रूर है, बल्कि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी हानिकारक है.
यह महत्वपूर्ण है कि हम सब मिलकर इस क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाएं और जापान सरकार पर दबाव डालें कि वह इस अमानवीय शिकार पर प्रतिबंध लगाए.
उदाहरण:
2019 में, "द कॉव" नामक एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज हुई थी, जिसमें ताईजी में डॉल्फिन शिकार की क्रूरता को दिखाया गया था. इस फिल्म ने दुनिया भर में लोगों को चौंका दिया और डॉल्फिन शिकार के खिलाफ आंदोलन को गति दी. 2021 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संरक्षण संगठन (आईएमसीओ) ने डॉल्फिन शिकार पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया. यह प्रस्ताव अभी भी लागू होना बाकी है, लेकिन यह एक सकारात्मक कदम है जो दर्शाता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर चिंतित है.
जापान को इस साल की शुरुआत में अपनी व्यावसायिक व्हेलिंग गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा था. डॉल्फिन प्रोजेक्ट जैसे संगठनों का कहना है कि यह शिकार अत्यंत क्रूर और अमानवीय है. वहीं, जापानी अधिकारी इन दावों को खारिज करते हुए कहते हैं कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और डॉल्फिन का शिकार उतना क्रूर नहीं है जितना पश्चिमी देशों में चित्रित किया जाता है.