Washington: अमेरिका और कनाडा के बीच टैरिफ विवाद गहराता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर आरोप लगाया है कि वे टैरिफ समस्या को खुद ही पैदा करने के बाद अब इसे चुनाव जीतने की रणनीति के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.
आपको बता दें कि बुधवार को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर लिखा, ''मानें या न मानें, कनाडा के लिए किए गए उनके खराब काम के बावजूद, मुझे लगता है कि जस्टिन ट्रूडो टैरिफ समस्या का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका कारण वे ही हैं, ताकि वे फिर से प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ सकें. यह देखना बहुत मजेदार है!''
वहीं अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में कनाडा से आयातित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. ट्रंप सरकार ने ट्रूडो पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिका में सिंथेटिक ड्रग फेंटेनाइल के प्रवाह को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए. इस नए टैरिफ से 2.2 ट्रिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार प्रभावित होने की आशंका है.
कनाडा का जवाबी हमला
बता दें कि ट्रूडो ने इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के लिए तैयार है. कनाडाई सरकार ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए 20.82 बिलियन डॉलर के अमेरिकी आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है.
इसके अलावा, कनाडा ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) से संपर्क कर अमेरिका के इस फैसले पर औपचारिक परामर्श की मांग की है. ट्रूडो ने कहा, "हम अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता जारी रखेंगे, लेकिन हमारा उद्देश्य इन टैरिफ को हटवाना है."
ट्रूडो - अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध जारी रहेगा
हालांकि, ट्रूडो ने बुधवार को एक बयान में कहा, '' मैं पुष्टि कर सकता हूं कि हम निकट भविष्य में भी अमेरिका द्वारा शुरू किए गए व्यापार युद्ध में उलझे रहेंगे.'' हालांकि, टैरिफ लागू होने के एक दिन बाद ट्रंप ने अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनियों को एक महीने की छूट देने की घोषणा की. लेकिन कनाडाई अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि यदि अमेरिका कनाडा पर से टैरिफ हटाता है, तब भी ट्रूडो अमेरिका के खिलाफ लगाए गए जवाबी टैरिफ को हटाने के लिए तैयार नहीं हैं.
बढ़ती व्यापारिक तनातनी के बीच भविष्य अनिश्चित
बहरहाल, अमेरिका और कनाडा के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है. इस टकराव से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में क्या दोनों देश बातचीत के जरिए इस मुद्दे का हल निकाल पाएंगे, या फिर व्यापार युद्ध और तेज होगा.