menu-icon
India Daily

Syrian Civil War: 'अल्लाह की मर्जी से यरुशलम-सऊदी अरब में कब्जा...', सीरियाई विद्रोहियों ने वीडियो जारी कर ललकारा

सीरियाई विद्रोहियों का यह बयान धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, जो न केवल मध्य-पूर्व बल्कि वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा है. हालांकि, इस बयान के बाद आगे की घटनाएं क्या रूप लेंगी, यह समय ही बताएगा.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
Syrian Rebels
Courtesy: X@Osint613

Syrian Civil War: सीरिया में असद की सत्ता का पतन हो चुका है. असद पद देश छोड़ चुके हैं. इस दौरान सीरिया में सक्रिय विद्रोहियों ने एक बार फिर अपने आस्थाओं का इज़हार करते हुए, यरुशलम और सऊदी अरब के प्रमुख धार्मिक स्थलों को मुक्त कराने की बात जाहिर की है. इन विद्रोहियों का कहना है कि “अल्लाह की मर्जी से, हम अल-अक्सा मस्जिद (यरुशलम) और काबा मस्जिद (सऊदी अरब) में प्रवेश करेंगे.

यह बयान न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है.अल-अक्सा मस्जिद, जो इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल के रूप में माना जाता है, यरुशलम में स्थित है. इसे लेकर अरब और इस्लामिक देशों में गहरी भावनाएं हैं. वहीं, काबा मस्जिद, जो मक्का में स्थित है, इस्लाम के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में पूजी जाती है. विद्रोहियों का यह बयान इन दोनों स्थलों की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को एक मजबूत संदेश के रूप में पेश करता है.

अल-असद परिवार के शासन का अंत

सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद को हमेशा ऐसे शख्स के रूप में याद किया जाएगा जिसने साल 2011 में अपने शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को क्रूरता से दबाया. बशर अल असद के इस फैसले के कारण सीरिया में सिविल वॉर छिड़ गया, जिसमें 5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए और 6 लाख लोग विस्थापित होकर शरणार्थी बन गए.

बशर अल-असद ने रूस और ईरान की मदद से विरोधियों को कुचल दिया और अपना शासन बचाकर रखा. रूस ने सीरिया में ज़बरदस्त हवाई हमले का इस्तेमाल किया. ऐसे में अब सीरिया में असद परिवार के पांच दशक के शासन का अंत इस इलाके में शक्ति संतुलन को नया स्वरूप दे सकता है.

सीरिया में क्यों पैदा हुए जंग के हालात?

बता दें कि, साल 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण और लोकतंत्र समर्थक विद्रोह एक सिविल वॉर में तब्दील हो गया, जिसने न केवल देश को तबाह किया बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियां भी इसमें शामिल हो गईं. ऐसे में तब से लेकर आज तक इस गृहयुद्ध  में 5 लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं. जबकि, 1 करोड़ से 20 लाख से ज्यादा लोगों ने अपने घर से पलायन करने को मजबूर हो गए.