Syria Civil War: सीरिया में सुन्नी विद्रोही जला रहे शिया मुस्लिमों की मस्जिदें, Video में देखें शियाओं पर आतंक का तांडव

Syria civil war: सीरिया सिविल वॉर का द एंड हो गया है. विद्रोहियों ने बशर अल-असद को दमिश्क से भागने पर मजबूर कर दिया. अल-असद ने कहां शरण ली है अभी तक इसकी कोई जानकारी निकलकर सामने नहीं आई है. इन सबके बीच दमिश्क से आई एक खबर ने सभी को चौंका दिया है. यह खबर है दमिश्क में शिया मस्जिदों को आग के हवाले कर दिया गया है.

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Gyanendra Tiwari

Syria civil war: सीरिया में तख्तापलट के बाद बहुत कुछ बदलने वाला है. ये बदलाव शिया और सुन्नियों के बीच होगा. सीरिया सुन्नी बहुल देश हैं. यहां शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमिश्क छोड़ जाने के बाद सुन्नियों ने बदलाव शुरू कर दिया है. खबर है कि दमिश्क में मौजूद शिया मस्जिदों को जलाया गया है. इसका वीडियो भी सामने आया है. इस खबर से ईरान को जरूर धक्का लगा होगा. क्योंकि ईरान शिया बहुल देश हैं. 

सीरिया में शिया समुदाय पर बढ़ते हमलों ने ईरान समेत पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दमिश्क समेत अन्य इलाकों में शिया मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया है. इन घटनाओं ने पहले से अशांत क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा कर दी है.

शिया समुदाय के धार्मिक स्थलों को बनाया गया निशाना

दमिश्क और उसके आसपास के क्षेत्रों से ऐसी खबरें सामने आई हैं कि शिया समुदाय की मस्जिदों और पवित्र स्थलों को रिबेल गुटों ने रौंदा और आग के हवाले कर दिया. इन घटनाओं में न केवल इमारतों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि धार्मिक आस्था पर भी गहरी चोट की गई है. वीडियो और अन्य रिपोर्ट्स में देखा गया है कि विद्रोही गुट इन स्थलों पर तोड़फोड़ कर रहे हैं और उनके प्रतीकों को नष्ट कर रहे हैं

सुन्नी-शिया संघर्ष ने बढ़ाई क्षेत्रीय तनाव

सीरिया में  विद्रोह के पीछे सुन्नी गुटों की भूमिका मानी जा रही है. शिया समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं दर्शाती हैं कि संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांप्रदायिक रूप भी ले चुका है. इस प्रकार के हमले क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ावा दे सकते हैं, खासकर जब ईरान जैसे शिया बहुल देश इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

विद्रोहियों के दमिश्क में प्रवेश करने के बाद बशर अल-असद की सरकार गिर गई. रविवार को सीरिया की राजधानी में भीड़ तानाशाह के 13 साल से अधिक लंबे शासन के अंत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुई और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया.