Syria civil war: सीरिया में तख्तापलट के बाद बहुत कुछ बदलने वाला है. ये बदलाव शिया और सुन्नियों के बीच होगा. सीरिया सुन्नी बहुल देश हैं. यहां शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं. राष्ट्रपति बशर अल-असद के दमिश्क छोड़ जाने के बाद सुन्नियों ने बदलाव शुरू कर दिया है. खबर है कि दमिश्क में मौजूद शिया मस्जिदों को जलाया गया है. इसका वीडियो भी सामने आया है. इस खबर से ईरान को जरूर धक्का लगा होगा. क्योंकि ईरान शिया बहुल देश हैं.
सीरिया में शिया समुदाय पर बढ़ते हमलों ने ईरान समेत पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दमिश्क समेत अन्य इलाकों में शिया मस्जिदों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया है. इन घटनाओं ने पहले से अशांत क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा कर दी है.
दमिश्क और उसके आसपास के क्षेत्रों से ऐसी खबरें सामने आई हैं कि शिया समुदाय की मस्जिदों और पवित्र स्थलों को रिबेल गुटों ने रौंदा और आग के हवाले कर दिया. इन घटनाओं में न केवल इमारतों को नुकसान पहुंचा है, बल्कि धार्मिक आस्था पर भी गहरी चोट की गई है. वीडियो और अन्य रिपोर्ट्स में देखा गया है कि विद्रोही गुट इन स्थलों पर तोड़फोड़ कर रहे हैं और उनके प्रतीकों को नष्ट कर रहे हैं
BREAKING 🚨
— Open Source Intel (@Osint613) December 8, 2024
Reports of some of the Shiite mosques and shrines in Damascus are now being ransacked.
Iran isn’t going to be too happy pic.twitter.com/7ziATt9DPa
सीरिया में विद्रोह के पीछे सुन्नी गुटों की भूमिका मानी जा रही है. शिया समुदाय को निशाना बनाने की घटनाएं दर्शाती हैं कि संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांप्रदायिक रूप भी ले चुका है. इस प्रकार के हमले क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ावा दे सकते हैं, खासकर जब ईरान जैसे शिया बहुल देश इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
विद्रोहियों के दमिश्क में प्रवेश करने के बाद बशर अल-असद की सरकार गिर गई. रविवार को सीरिया की राजधानी में भीड़ तानाशाह के 13 साल से अधिक लंबे शासन के अंत का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुई और राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया.