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सुनीता विलियम्स: स्पेस में सबसे अधिक समय बिताने वाली महिला एस्ट्रोनॉट, मिशन पर ले जाती हैं गणेश की मूर्ति

सुनीता विलियम्स नासा की पुरानी एस्ट्रोनॉट में एक हैं. वह दो बार पहले स्पेश मिशन पर जा चुकी हैं. नासा फिर से उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेज रहा है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
sunita williams

सुनीता विलियम्स दुनिया की जानी मानी एस्ट्रोनॉट हैं. वो दो बार स्पेस मिशन पर जा चुकी है. भारतीय मूल की सुनीता तीसरी बार अंतरिक्ष यान से उड़ान भरेंगी. सोमवार को भारतीय समुयाअनुसार सुबह 8 बजे  सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए उड़ान भरनी थी, लेकिन रॉकेट में तकनीकी खराबी के कारण इसे टाल दिया गया. 

मिशन टलने के बाद एस्ट्रोनॉट क्रू क्वार्टर में लौट गए हैं. अब अगला लॉन्च कब होगा इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी गई है. ये मिशन अगर सफल होता है तो सुनीता विलिय्मस एक और इतिहास रच देंगी. वह नासा के साथ 1988 में जुड़ी थीं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि मिशन पर वो अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति लेकर जाएंगी. अपनी पिछली यात्रा में वह अपने साथ भागवतगीता लेकर गई थीं.  

कौन हैं सुनीता विलियम्स? 

सुनीता के रुट्स गुजरात से जुड़े हुए हैं. सुनीता विलियम्स का जन्म 19, सितंबर, 1965 को अमेरिका के ओहियो के क्लीवलैंड में हुआ था. उनके माता-पिता वहीं बस गए हैं. सुनीता ने मैसाचुसेट्स से हाईस्कूल पास करने के बाद 1987 में संयुक्त राष्‍ट्र की नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया था. 1998 में जून सुनीता नासा के साथ जुड़ी.  पहली बार 2006 में उन्हें स्पेश मिशन पर जाने का मौका मिला.  

दर्ज हैं कई रिकॉर्ड्स

अपनी पहली यात्रा में सुनीता ने अंतरिक्ष में कुल 28 घंटे 17 मिनट चहलकदमी की थीं. यह एक रिकॉर्ड है. अपने दूसरे स्पेस यात्रा के दौरान सुनीता बिलियम्स में चार महीने का वक्च बिताया था. इस दौरान उन्होंने स्पेस स्टेशन के रेडिएटर से अमोनिया के रिसाव को ठीक किया था. 50 घंटे और 40 मिनट की चहलकदमी के साथ एक बार फिर से अंतकिक्ष में सबसे लंबे समय तक चलने का रिकॉर्ड बनाया. 

अन्य क्षेत्र में भी माहिर

सुनीता विलियम्स एस्ट्रोनॉट होने के साथ-साथ अन्य कलाओं में भी माहिर हैं.  वह नौसेना पोत चालक, हेलिकॉप्टर  पायलट, पेशेवर नौसैनिक, मैराथन धावक भी रही हैं. सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में लंबे समय तक रूकने का रिकॉर्ड भी बनाया है. वो ऐसा करने वाली फिलहाल एक मात्रा अतंरिक्ष यात्री हैं.