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India Daily

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की 9 महीने लंबी अंतरिक्ष यात्रा का असर, लौटने के बाद शरीर में होंगे बड़े बदलाव: NASA Report

अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 18 मार्च, 2025 को धरती पर लौटेंगे. नासा के अनुसार, 9 महीने तक अंतरिक्ष में रहने से उनके शरीर में कई बदलाव होंगे, जिनमें हड्डियों और मांसपेशियों का कमजोर होना शामिल है.

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Edited By: Anvi Shukla
sunita williams and butch willmore
Courtesy: pinterest

NASA Report: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने जानकारी दी है कि पिछले नौ महीनों से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर फंसे अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 18 मार्च, 2025 को धरती पर लौटेंगे. दोनों अंतरिक्ष यात्री शनिवार को नासा और एलन मस्क की SpaceX के सहयोग से लॉन्च किए गए क्रू-10 मिशन के तहत अंतरिक्ष स्टेशन से वापस आ रहे हैं. हालांकि, 9 महीने तक अंतरिक्ष में रहने के बाद उनके शरीर में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं, जिनके ठीक होने में महीनों का समय लग सकता है.

अंतरिक्ष यात्रा से शरीर पर होने वाले शारीरिक और मानसिक प्रभावों को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगता है. सुनीता और बुच की वापसी के बाद नासा और अन्य विशेषज्ञों द्वारा उन्हें विशेष देखभाल दी जाएगी ताकि वे धीरे-धीरे अपने सामान्य जीवन में लौट सकें.

नासा के मुताबिक

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर में कई शारीरिक बदलाव होते हैं. सबसे प्रमुख बदलाव हड्डियों और मांसपेशियों में होता है, जिससे ये कमजोर हो जाती हैं. अंतरिक्ष यात्री Leroy Chiao के अनुसार, सुनीता और बुच को धरती पर वापस आने के बाद चलने में परेशानी हो सकती है. उनका कहना है कि लंबे समय तक गुरुत्वाकर्षण के बिना रहने से अंतरिक्ष यात्रियों को 'Baby Feet' जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. इसका मतलब है कि अंतरिक्ष में वजनहीनता का अनुभव होने से पैर की त्वचा नर्म हो जाती है, जिससे चलने में परेशानी होती है.

हड्डियों और मांसपेशियों पर असर

 अंतरिक्ष यात्रियों को बोन डेंसिटी लॉस (हड्डियों का पतला होना) का भी सामना करना पड़ता है. नासा का कहना है कि एक महीने के अंतरिक्ष मिशन से हड्डियों की ताकत में एक प्रतिशत कमी आ जाती है, जिससे हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा, मांसपेशियों के काम न करने के कारण, पैरों और पीठ की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं. इस समस्या से निपटने के लिए, अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष स्टेशन में नियमित रूप से 2.5 घंटे तक एक्सरसाइज करते हैं.

सिर में दबाव, और आंखों की रोशनी पर असर

गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण शरीर में तरल पदार्थ ऊपर की ओर बढ़ते हैं, जिससे चेहरे में सूजन, सिर में दबाव, और आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है. इसके अलावा, हृदय प्रणाली भी प्रभावित होती है और हृदय का आकार थोड़ा सिकुड़ जाता है. इससे रक्त पंप करने की गति धीमी हो जाती है, और पृथ्वी पर वापस आने पर हृदय से संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.

बढ़ सकता है इन्फेक्शन का खतरा

नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहकर पृथ्वी से दूर रहने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर हो सकता है. हालिया शोध से पता चला है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से मस्तिष्क के संरचनात्मक बदलाव होते हैं. इसके अलावा, अंतरिक्ष में उच्च मात्रा में रेडिएशन के संपर्क में आने से कैंसर और डीएनए डैमेज का खतरा बढ़ जाता है. इसके साथ ही इम्यून सिस्टम पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है.

धरती पर लौटने में समय लगेगा 

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए धरती पर लौटने के बाद सामान्य जीवन में वापसी करना एक चुनौती हो सकता है. सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को भी कमजोरी, चक्कर आना, और अन्य शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. उनकी स्थिति सामान्य होने में महीनों से लेकर सालों का समय भी लग सकता है.